पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२५६

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योग-धारा, १२५५ है; परंतु उनका स्वरूप, उनकी प्रवृत्तियां श्रादि जानकर ही हम उनके संबंध में अपना मत निरूपित कर सफते हैं। गुरु गोरखनाथ का यह हठ-वादी योग-संप्रदाय कवीर श्रादि परवर्ती साधकों के मार्ग से भिन्न है। इस योगाश्रयी शाखा तथा कबीर भोर की शानाथयी शाखा में सयसे प्रधान अंतर यह है कि योग-मार्ग उपाय या भाचरण यो जीवन की. निगु पन्माग म मद साधना का मार्ग है जो उन साधनाओं को पार करता हुना अलौकिक सत्ता की ओर ले जाता है परंतु ज्ञानमार्ग योग की चरम-कोटि पर पहुँचकर ही प्रतिष्ठित होता है। जब योगी अपनी साधना के परिणाम स्वरूप ज्ञान प्राप्त कर लेता है तव योग की क्रिया छूट जाती है। कबीर ने स्थान स्थान पर योग या साधना की प्रशंसा की है परंतु जहाँ वे शानी की दृष्टि से देखते हैं वहाँ योग : की निंदा भी करते हैं। इस योग की निंदा से उनके दो अर्थ हो सकते हैं। एक तो मिथ्या योगियों की प्रवंचना से जनता को सावधान करना और दूसरे तात्त्विक रूप से भी योग या क्रिया मान का मायिक रूप सिद्ध करना। यद्यपि कबीर स्वयं अपने को योगी समझते थे तथापि शान के उच्च स्तर से घे योग की विगर्हणा भी करते थे। यह तो हुई शानी कवीर की पात । योग या साधना के मार्ग में भी उनकी प्रणाली हठयोगियों से भिन्न थी। हठयोग पूर्णतः भारतीय योग-पद्धति है। इसका संसर्ग मुसलमानी श्रथवा सूफी योग की प्रक्रि- याओं से एकदम नहीं है। फवीर तथा उनके अनुयायियों पर सूफी प्रेम-वाद तथा इस्लामी एकेश्वरवाद की जो छाप दिखाई देती है वह नाथ संप्रदाय में नाम को भी नहीं है। इसके अतिरिक्त कवीर का जितना अधिक संसर्ग वैष्णव संप्रदाय तथा भक्ति की भावेगपूर्ण धारा से था उतना इन साधुनों का नहीं था। चैप्णव मत का यह भक्ति-प्रवाह अपने साथ सरल और सात्त्विक जीवन के तथ्यों को लेकर तो पाया ही था, साथ ही यह सांस्य और वेदांत शास्त्रों की दार्शनिक दिव्यता भी दिखा रहा था। इससे भी कधीर ने यथेष्ट लाभ उठाया और अपने उद्गारों . को अधिक दार्शनिक तथा व्यापक स्वरूप देने में समर्थ हुअा। गोरखनाथ आदि का योग-संप्रदाय इस व्यापक क्षेत्र में प्रवेश न कर सका। इस- लिये इन योग-मार्गियों की चर्चा इस पुस्तक के एक स्वतंत्र प्रकरण में करना अनुचित न होगा नथापि कवीर के 'निर्गुण' मत की इस नाथ- संप्रदाय के योग-मार्ग से एकदम मिन्नता ही नहीं है, जैसा कि हम भागे देखेंगे, दोनों में पारस्परिक सामरस्य भी है। दोनों ही संसार-त्यागी