पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२७३

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२७२ हिंदी साहित्य व्यक्त होता है, तब तो भक्त की वाणी स्वभावतः स्पष्ट और निश्चित होती है, परंतु जव भक्त चिंतन के क्षेत्र में प्रवेश करके श्राकार का परित्याग रहस्यवाद कर अगोचर की ओर अग्रसर होता है तय उसे रहस्यात्मक शैली का श्राधय ग्रहण करना पड़ता है। इस प्रकार काव्य में रहस्यवाद की उत्पत्ति होती है। रहस्य- वाद के मूल में अज्ञात शक्ति की जिज्ञासा काम करती है। इस बात का अनुभव मनुष्य अनादि काल से करता चला पाया है कि संसारचक्र का प्रवर्तन किसी अज्ञात शक्ति के द्वारा होता है, परंतु वह शक्ति उस प्रकार स्पष्टता से नहीं दिखाई देती, जिस प्रकार जगत् के अन्य दृश्य रूप दिखाई पड़ते हैं, और न उसका ज्ञान ही उस प्रकार साधारण विचारधारा के द्वारा हो सकता है जिस प्रकार इन दृश्य रूपों का होता है। जो लोग अपनी लगन से इस क्षेत्र में सिद्ध हो चुके हैं, उन्होंने जय जब अपनी अनुभूति के निरूपण करने का प्रयत्न किया है, तव तव उन्होंने अपनी उक्तियों को स्पष्टता देने में अपने नापको असमर्थ पाया है। कबीर ने स्पष्ट कह दिया है कि परमात्मा का प्रेम और उसकी अनुभूति गूंगे का सा गुड़े है। यही रहस्यवाद का मूल है। वेदों और उपनिषदों में रहस्यवाद की झलक विद्यमान है। जहाँ कहीं ब्रह्म की निर्गुण सत्ता का उल्लेख किया गया है, वहाँ घरावर इसी रहस्यात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। गीता में भगवान् के मुँह से उनकी विभूति का जो वर्णन कराया गया है, वह अत्यंत रहस्यपूर्ण है। संतो की रहस्यमयी उक्तियाँ स्थान स्थान पर बड़ी ही मनो- मोहिनी हुई है। प्रकृति के नाना रूपों में एक नित्य चेतन शक्ति की झलक देखकर भावमग्न होने की कल्पना भी कितनी मधुर और कितनी मोहक है। समस्त दृश्य जगत् श्रानंद के प्रवाह से प्राप्लावित हो रहा है, इसके अणु अणु उस पानंद से अपना संबंध चरितार्थ कर रहे हैं, श्रादि भावनाएँ जितनी रहस्यमयी हैं, उतनी ही हृदयहारिणी भी हैं। प्रसिद्ध भक्त कवयित्री मीराबाई ने संसार को पुरुष-विहीन घतलाकर सयके एकमात्र स्वामी "गिरिधर गोपाल" को ही अपना पति स्वीकार किया है। परमात्मा पुरुप है, प्रकृति उसकी पत्नी है-यह कल्पना बड़ी ही रहस्यात्मक परंतु अत्यंत सत्य है। संतों ने इसकी अनुभूति की थी। कवीर ने भी एक स्थान पर अपने को "राम की बहुरिया" घतलाया है। संसार ने स्त्री पुरुष के जो भेद बना रखे हैं, तात्विक दृष्टि से उनका विशेष मूल्य नहीं, वे कृत्रिम हैं। वास्तव में सारी प्रकृति-सारा दृश्य जगत् परम पुरुष की पत्नी है। यही तथ्य है। इसी प्रकार परमात्मा