पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२७७

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२७६ - हिंदी साहित्य कि मृत्यु के समय मंगहर में उन्होंने जो पद कहा है, उसमें मैथिली का भी कुछ संसर्ग दिखाई देता है। यदि वोली का अर्थ मातृभाषा ले और "पूरची" का "विहारी" तो कवीर के जन्म के संबंध में एक नया ही प्रकाश पड़ता है। उनका अपना अर्थ जो कुछ हो, पर पाई जाती है उनमें अवधी और विहारी दोनों बोलियाँ। इस पँचमेल खिचड़ी का कारण यह है कि उन्होंने दूर दूर के साधु संतों का सत्संग किया था जिससे स्वभावतः उग पर भिन्न भिन्न प्रांतों की धोलियों का प्रमाव पड़ा। कवीर पढ़े लिखे नहीं थे, इसी से उन पर बाहरी प्रभाव बहुत अधिक पड़े। भाषा और व्याकरण की स्थिरता उनमें नहीं मिलती। यह भी संभव है कि उन्होंने जान बूझकर अनेक प्राता के शब्दों का प्रयोग किया हो, अथवा शब्दभांडार की कमी के कारण जय जिस भापा का सुना सुनाया शब्द उनके सामने आ गया हो तब वही उन्होंने अपनी कविता में रख दिया हो। शब्दों को उन्होंने तोड़ा मरोड़ा भी बहुत है। इसके अतिरिक्त उनकी भाषा में अक्खड़पन है और साहित्यिक कोमलता का सर्वथा अभाव है। कहीं कहीं उनकी भापा बिलकुल गँवारू लगती है, पर उनकी बातों में खरेपन की मिठास है, जो उन्हीं की विशेषता है और उसके सामने यह गँवारपन खटकता नहीं। कवीर ही हिंदी के सर्वप्रथम रहस्यवादी कवि हुए। सभी संत कवियों में थोड़ा बहुत रहस्यवाद मिलता है, पर उनका काव्य विशेषकर कबीर का ही ऋणी है। बंगला के वर्तमान कवींद्र रवींद्र को भी कबीर का ऋण स्वीकार करना पड़ेगा। अपने रहस्यवाद का वीज उन्होंने कवीर में ही पाया। परंतु उनमें पाश्चात्य भड़कीली पालिश भी है। भारतीय रहस्यवाद को उन्होंने पाश्चात्य ढंग से सजाया है। इसी से यूरोप में उनकी इतनी प्रतिष्ठा हुई है। हिंदी की वर्तमान काव्यप्रगति में भी कधीर के रहस्यवाद की कुछ छाप देख पड़ती है। कचीर पहुँचे हुए ज्ञानी थे। उनका शान पोथियों की नकल नहीं था श्रार न यह सुनी सुनाई बातों का वेमेलाभांडार ही था। पढ़े लिखे तो वे थे नहीं, परंतु सत्संग से भी जो बातें उन्हें मालूम हुई, उन्हें वे अपनी विचारधारा के द्वारा मानसिक पाचन से सर्वथा अपनी ही बना लेने का प्रयत्न करते थे। उन्होंने स्वयं कहा है 'सो ज्ञानी नाप विचारै'। फिर भी कई घातें उनमें ऐसी मिलती हैं जिनका उनके सिद्धांतों के साथ मेल नहीं मिलता। उनकी ऐसी उक्तियों को समय और परि- स्थितियों का तथा भिन्न भिन्न मतावलंबियों के संसर्ग का अलक्ष्य प्रभाव समझना चाहिए ।