पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२८५

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२८४ हिंदी साहित्य मुसलमान थे। एक तो यह संप्रदाय ही मुसलमानों के सूफी मत को लेकर सड़ा हुआ था, दूसरे हिंदू कवियों में उसी समय के लगभग सगुणोपासना चल पड़ी और वे व्यक्त के भीतर अन्यक्त का रहस्यमय साक्षात्कार करने की अपेक्षा व्यक्त को ही सब कुछ मानने और अवतार- रूप में राम और कृष्ण की जीवनगाथा अंकित करने में प्रवृत्त हुए। मुसलमान प्रारंभ से ही मूर्तिद्वेपी थे अतः उन्हें सूफियों की शैली के प्रचार का विशेष सुभीता था। प्रेममार्गी सूफी कवियों ने प्रेम का चित्रण जिस रूप में किया है, उसमें विदेशीयता ही नहीं है, प्रत्युत भारतीय शैलियों का भी प्रभाव है। सूफिया की भारतीयता ... एक तो इस देश की रीति के अनुसार नायक उतना प्रेमोन्मुस नहीं होता जितनी नायिका होती है, परंतु जायसी श्रादि ने फारस की शैली का अनुसरण करते हुए गायक को अधिक प्रेमी तथा प्रेमपान की प्राप्ति के लिये प्रयत्नशील दिखाया है। वास्तव में इन कवियों का प्रेम ईश्वरोन्मुख था। सूफी अपने प्रियतम ईश्वर की कल्पना स्खी के रूप में करते थे। इसलिये जायसी आदि को भी नायक के प्रेम को प्रधानता देनी पड़ी। परंतु भारतीय शैली के अनुसार असंख्य गोपिकाएँ कृष्ण के प्रेम में लोन, उनके विरह में व्याकुल और उनकी प्राप्ति में प्रयत्नशील रहती हैं। वास्तव में यह प्रेम भी अपने शुद्ध रूप में ईश्वरोन्मुस है, क्योंकि भारतीय दृष्टि में कृष्ण भगवान् पूरी फलानों के अवतार, जगदुद्धारक, योगीश्वर श्रादि माने जाते है-उनके प्रति गोपिकानों का प्रेम, पुरुप के प्रति प्रकृति का प्रेम समझा जाता है। सूफी कवियों पर इस भारतीय शैली का प्रभाव पड़ा था और उन्होने प्रारंभ में नायक को प्रियतमा की प्राप्ति के लिये अत्यधिक प्रयत्नशील दिखाकर ही सतोप नहीं कर लिया, परन् उपसंहार में नायिका (प्रिय- तमा) के प्रेमोत्कर्प को भी दिखाया। दूसरी बात यह भी है कि इस देश में प्रेम की कल्पना अधिकतर लोकन्यवहार के भीतर ही की जाती है और कर्तव्यबुद्धि से उच्छखल प्रेम का नियंत्रण किया जाता है। राम और सीता का प्रेम ऐसा ही है। कृष्ण और गोपिकानों के प्रेम में ऐकांतिकता आ गई है, परंतु सूफियों के प्रेम की तरह यह भी बिलकुल लोकवाह्य नहीं है। भारतीय सूफी कवियों ने इस देश की प्रेमपरंपरा का तिरस्कार नहीं किया, उनका प्रेम बहुत कुछ लोकव्यवहार के परे है, पर फिर भी असंयत नहीं। जायसी ने तो पद्मावत में नायिका के सतीत्य तया उत्कट पतिप्रेम आदि का दृश्य दिखाकर अपने भारतीय होने का पूरा परिचय दिया है। इन दो मुख्य बातों के अतिरिक्त