पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२९१

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प्रेममार्गी भक्ति शाखा २६१ रमणीय दृश्य दिखाई पड़ते हैं, कभी जब इसका उसके साथ संयोग होता है, तब सारी प्रकृति मानों पानंदोल्लास से नाच उठती है। इस प्रकार प्रकृति की ही सहायता से जायसी का रहस्यवाद व्यक्त हुआ है। इसके विपरीत कचीर ने चेदांत के अनेक चादों तथा अन्य दार्शनिक शैलियों का अनुसरण करते हुए रहस्योद्गार व्यक्त किए हैं। कविता की दृष्टि से फवीर का रहस्यवाद नोज और प्रकाशपूर्ण है और सूफियों का माधुर्य और रसपूर्ण है। कवीर एक मात्र निर्गुणोपासक है और सूफी व्यक्त के प्रेममूलक उपासक हैं। प्रेम से अध्यक्त को व्यक्त रूप में प्रकट करते हैं। छंदों और अलंकारों के संबंध में संक्षेप में इतना कहा जा सकता है कि सभी सूफी कवियों के छंद अधिकतर दोहे और चौपाई तक ही कर सीमित रहे और अलंकार कहीं भी भार या पाउं " पर नहीं बन बैठे। इन दोनों ही बातों से इन कवियों की सरलता का पता चलता है और यह याभास भी मिलता है कि उन्हें भावों और विचारों को व्यक्त करने का सबसे अधिक ध्यान था और छंद अलंकार श्रादि भावों के उत्कर्ष में सहायक मान समझे गए थे, इससे अधिक उनका महत्त्व न था। प्रबंधकाव्य में विभिन्न छंदों का श्राधिक्य उचित होता है या नहीं, इस संबंध में मतभेद हो सकता है। संस्कृत के काव्यों में अनेक प्रकार के छंद व्यवहत हुए हैं। कालिदास के रघुवंश, कुमारसंभव श्रादि काव्य इसके उदाहरण हैं। हिंदी में एक ओर केशवदास हैं जिनकी रामचंद्रिका यहुविध छंदों का श्रागार है और दूसरी ओर तुलसीदास का 'रामचरितमानस' है जिसमें दोहे और चौपाइयों के अतिरिक्त अन्य छंद यहुत थोड़ी संख्या में आए हैं। यदि रामचंद्रिका और रामचरितमानस में, किसी को छंदों की सुघरता और संगीतात्मक की दृष्टि से प्रधानता देनी हो तो हम रामचरितमानस को ही चुनेंगे। छंद एक सा रहने से पाठक को रसस्रोत में बहने की एक श्रगाध धारा सी मिल जाती है। यद्यपि कभी कभी उस धारा से निकलने के लिये जी उत्सुकं होता है, कभी कभी जी ऊब भी जाता है, पर पद पद पर नए नए छंदों के प्रवाह में टकराते हुए बहना तो किसी को कदाचित ही पसंद हो । जहाँ भावधारा एक ही गति से यह रही है यहाँ नवीन छंदों का प्रयोग तो विक्षप ही करता है। फिर सब कवि संगीत विद्या के विशारद नहीं होते। वे प्रायः मनमाने छंदों का प्रयोग कर देते हैं और भावानुकूलता का विचार नहीं रखते। इस दृष्टि से सूफी कवियों ने फेवल दोहे और चौपाई को चुनफर यद्यपि पाठकों के ऊरने की जगह रख छोड़ी है, फिर भी हमारी सम्मति में इसके लिये उन्हें दोषी ठहराना