पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३०

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श्राधुनिक भापाएं तक के पहाड़ी प्रदेश, पूरव में भागलपुर, दक्षिण-पूरय में रायपुर तथा दक्षिण-पश्चिम में संडवा तक पहुंचती है। इस भूमिमाग के निवासियों के साहित्य, पत्र-पत्रिका, शिक्षा-दीक्षा, बोलचाल श्रादि की भाषा हिंदी है। इस अर्थ में विहारी ( भोजपुरी, मगही और मैथिली), राजस्थानी (मारवाड़ी, मेवाती श्रादि), पूर्वी हिंदी (अवधी, बघेली श्रार छत्तीस- गढ़ी), पहाड़ी श्रादि सभी हिंदी की विभापाएँ मानी जा सकती हैं। उसके बोलनेवालों की संख्या लगभग ११ करोड़ है। यह हिंदी का प्रच.. लित अर्थ है । भापा-शास्त्रीय अर्थ इससे कुछ भिन्न और संकुचित होता है। भाषा-शास्त्र की दृष्टि से इस विशाल भूमिभाग अथवा हिंदी खंड में तीन चार भाषाएँ मानी जाती हैं। • राजस्थान की राजस्थानी, विहार . तथा वनारस-गोरखपुर कमिश्नरी की विहारी, उत्तर में पहाड़ों की पहाड़ी श्रीर अवध तथा छत्तीसगढ़ की पूर्वी हिंदी श्रादि पृथक् भाषाएँ मानी जाती है। इस प्रकार हिंदी केवल उस खंड की भाषा को कह सकते हैं जिसे प्राचीन काल में मध्य देश अथवा अंतर्वेद कहते थे। अतः यदि आगरा को हिंदी का केंद्र माने तो उत्तर में हिमालय की तराई तक और दक्षिण में नर्मदा की घाटी तक, पूर्व में कानपुर तक और पश्चिम में दिल्ली के भी आगे तक हिंदी का क्षेत्र माना जाता है। इसके पश्चिम में पंजाबी और राजस्थानी वोली जाती हैं और पूर्व में पूर्वी हिंदी। कुछ लोग हिंदी के दो भेद मानते हैं-पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी। पर श्राधुनिक विद्वान् पश्चिमी हिंदी* को ही हिंदी कहना शास्त्रीय समझते हैं। अतः भाषा वैज्ञानिक विवेचन में पूर्वी हिंदी भी 'हिंदी' से पृथक भाषा मानी जाती है। पेतिहासिक दृष्टि से भी देखें तो हिंदी शौरसेनी की वंशज है और पूर्वी हिंदो अर्धमागधी की। इसी से ग्रियर्सन, चैटर्जी हिंदी कासीम आदि ने हिंदी शब्द का पश्चिमी हिंदी के ही अर्थ में व्यवहार किया है और व्रज, कन्नौजी, बुंदेली यांगरू और खड़ी वोली ( हिंदुस्तानी) को ही हिंदी की विभाषा माना है-श्रवधी, छत्तीसगढ़ी श्रादि को नहीं। अभी हिंदी लेखकों के अति. रिक्त अँगरेजी लेखक भी 'हिंदी' शब्द का मनचाहा अर्थ किया करते हैं इससे भाषा-विज्ञान के विद्यार्थी को हिंदी शब्द के (१) मूल शब्दार्थ, (२)प्रचलित और साहित्यिक अर्थ, तथा (३) शास्त्रीय अर्थ को भली भांति समझ लेना चाहिए। तीनों श्रर्थ ठीक हैं पर भाषा-विज्ञान में वैज्ञानिक खोज से सिद्ध और शास्त्र-प्रयुक्त अर्थ ही लेना चाहिए।

  • पश्चिमी हिंदो के बोलनेवालों की संख्या केवल ४ करोड १२ लाख है।