पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३०१

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रामभक्ति शाखा ३०१ प्रेरणा से देश-भाषाओं में रामभक्ति का जो साहित्य तैयार हुआ उसमें सिद्धांतों की अधिक स्पष्ट व्यंजना नहीं हुई-कहीं कहीं तो विभिन्न मतों का समावेश भी हुश्रा है। ___ रामभक्ति की जो शाखा महात्मा रामानंद द्वारा विकसित हुई, श्रागे चलकर उसका अत्यधिक विस्तार हुश्रा और वह सूब फूली-फली। ....यद्यपि अपनी उदारता के कारण रामभक्ति उस . रामानद का शिष्यपरपरा सांप्रदायिक कट्टरपन से बची रही जो कृष्णोपासना के कुछ संप्रदायों में फैली, तथापि इतना तो निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि रामानंद की रामोपासना का इस देश पर प्रचुर प्रभाव पड़ा। कवीर, पीपा, रैदास, सेना, मलूक श्रादि संत सब रामानंद के ऋणी हैं, यद्यपि उनके चलाए हुए संप्रदायों पर कुछ इस्लामी प्रभाव भी पड़े श्रीर अनेक भेदोपभेद भी हुए। जनता पर इन संतों का घड़ा प्रभाव पड़ा। परंतु महात्मा रामानंद का ऋण इन संतों तक ही परिमित नहीं है। इनकी शिप्य-परंपरा में श्रागे चलकर गोस्वामी तुलसीदास हुए जिनकी जगत्प्रसिद्ध रामायण हिंदी साहित्य का सर्वोत्कृष्ट रत्न तथा उत्तर भारत की धर्मप्राण जनता का सर्वस्व है। कवीर श्रादि संतों के संप्रदाय देश के कुछ कोनों में ही अपना प्रभाव दिखा सके और पढ़ी-लिखी जनता तक उनकी वाणी अधिक नहीं पहुँची, परंतु गोस्वामी तुलसीदास की कविता ऊँच-नीच, राजा-राव, पढ़े-पढ़े सवकी दृष्टि में समान रूप से श्रादरणीय हुई। ये गोस्वामी तुलसीदासजी स्वामी रामानंद के ही उपदेशों को ग्रहण करके चले थे, अतः स्वामी रामानंद का महत्त्व हम अच्छी तरह समझ सकते हैं और उनके उपदेशों से अंकुरित रामभक्ति को श्राज असंख्य घरों में फैली हुई देख सकते हैं। ____हिंदी भाषा की संपूर्ण शक्ति का चमत्कार दिखानेवाले और हिंदी साहित्य को सर्वोच्च श्रासन पर बैठानेवाले भक्तशिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास की जीवनी तुलसीदास महात्मा रामानंद की शिप्य-परंपरा "थे। अपनी अद्भुत प्रतिभा श्रार अलौकिक कवित्व- का अनुसंधान शक्ति के कारण वे देश और काल की सीमा का उल्लंघन कर सार्वदेशिक और सार्वकालिक हो गए हैं। श्राज तीन सौ वर्षों में उनकी कीर्तिश्री कम नहीं हुई, प्रत्युत निरंतर बढ़ती ही जाती है। उनकी लौकिक जीवन-गाथा का उल्लेख यहाँ संक्षेप में आवश्यक है। उनका जीवनचरित लिखनेवाले महात्मा रघुवरदास के "तुलसीचरित" से उनकी जीवनी का पता चलता है परंतु उनके समकालीन शिष्य यावा घेणीमाधवदास का "गोसाईचरित" अधिक प्रामाणिक माना जाता है।