पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३५६

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हिंदी साहित्य प्रकार श्रा जायँगे । तत्कालीन मुसलमान कवियों में श्रालम शेख का जोड़ा प्रसिद्ध है। रसलीन और अलोमुहिब खां की रचनाएँ भी थोड़ा. यहुत मूल्य अवश्य रखती हैं। यद्यपि रीति काल में हिंदी कविता की अंगपुष्टि बहुलता से हुई, पर साथ ही कलापक्ष की ओर जितना अधिक ध्यान दिया गया उतना भावपक्ष की ओर नहीं दिया गया। प्राचार्यत्व तथा कवित्व के मिश्रण ने भी ऐसी खिचड़ी पकाई जो स्वादिष्ट होने पर भी हितकर न हुई । • प्राचार्यत्व में संस्कृत की बहुत कुछ नकल की गई और वह नकल भी एकांगी हुई। सिद्धांतों को लेकर उन पर विवेचनापूर्ण ग्रंथों के निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया गया और केवल पुरानी लकीर को ही पोटते रहने की रुचि ने साहित्य के इस अंग की यथेष्ट पुष्टि न होने दी।