पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३८

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श्राधुनिक भाषाएँ नाद्री, उत्कलो अथवा उड़िया उड़ीसा की भाषा है। इसमें कोई विमापा नहीं है। इसकी एक खिचड़ी बोली है जिसे भत्री कहते हैं। उडिया भत्री में उड़िया, मराठी और द्रविड़ तीनों आकर मिल गई हैं। उड़िया का साहित्य अच्छा बड़ा है। बंगाल की भापा बंगाली प्रसिद्ध साहित्य-संपन भाषाओं में से एक है। इसकी तीन विभापाएँ हैं। हुगली के आसपास की पश्चिमी स वाली टकसाली मानी जाती है। यँगला लिपि " देवनागरी का ही एक रूपांतर है।। श्रासामी पहिरंग समुदाय की अंतिम भाषा है। यह आसाम की भाषा है। यहां के लोग उसे असामिया कहते हैं। आसामी में प्राचीन र साहित्य भी अच्छा है। श्रासामी यद्यपि बँगला " से बहुत कुछ मिलती है तो भी व्याकरण और उच्चारण में पर्याप्त भेद पाया जाता है। यह भी एक प्रकार की बँगला लिपि में ही लिखी जाती है। आसामी की कोई सञ्चो विभाषा नहीं है।