पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/६६

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साहित्यिक हिंदी की उपभाषाएँ ६५ वचन जयपुरी है मारवाड़ी वर्तमान काल- एकवचन उ० पु. म० पु० श्र० पु. बहुवचन उ० पु. - म० पु० अ० पु० भूत काल-~- एकवचन पु. बहुवचन पु. राजस्थानी में क्रियाओं के रूप प्रायः पश्चिमी हिंदी के सप्लान होते हैं। भविष्यत् काल में राजस्थानी के रूप दो प्रकार के होते हैं- (१) एक तो प्राकृत के अनुरूप; जैसे, प्रा० चलिस्सामि, चलिहामि, चलस्यू, चला और (२) दूसरा "गा" या "ला" प्रत्यय लगाकर; जैसे चलूँलो, चलौला, चलूँला, चलूँगो, चलोगा। ___राजस्थानी भाषा वाक्य-विन्यास के संबंध में गुजराती का अनुकरण करती है। पश्चिमी हिंदी में बोलने का अर्थ देनेवाली क्रियाओं के संबंध में जिससे बोला जाय, उसका रूप अपादान फारक में होता है, जैसे-'राम गोविंद से कहता है। पर गुजराती में इसका रूप संप्रदान कारक का सा होता है जैसे "राम गोविंद ने फहे छे"। पश्चिमी