पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/७९

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साहित्यिक हिंदी की उपमापाएँ (२) मुख्य सकर्मक-क्रियाएँ क्रियार्थक संशा-करनी, करिवो, कीवो। वर्तमान कृदंत फर्तरि-करतो, करती। भूत कृदंत फर्त्तरि और कर्मणि -कियो, कीन्हों, करयो, कियो, गयो। वर्तमान संभाव्यार्थ "मैं देखू" पुरुप एकवचन बहुवचन उ० पु० (मैं ) दे। (तू) देसे (वह ) देसे (इम ) देरी ( तुम ) देखो (वे) देखें अ० पु०. श्राशार्थ में एकवचन का रूप देख' और बहुवचन का रूप 'देखो' होता है। भविष्य . "देखना" एकवचन पहुवचन पुरप पुल्लिग स्त्रीलिंग | पुल्लिग स्त्रीलिंग उ० पु० देर् गो, देसिहा | देसू गी, देखिहै | देसेंगे, देखिहे | देसँगी, देखिह म० पु० देगो, देखिह देसँगी, देखिहें | देसागे, देखिहा देखोगी, देतिहा १० पु. देसैगो, देखिहै | देरीगी, देखिहै / देसंगे, देखिहें | देसँगी, देतिह - -