पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/१२६

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विस्तार के लिये भारत के किसी सामुद्रिक प्रदेश में एक बन्दरगाह बनाना चाहते थे। इसलिये सिन्ध प्रदेश पर पहले पहल उनकी आंखें गड़ीं और ईस्वी नवीं शताब्दी में मुहम्मदबिन क़ासिम ने नाना प्रपञ्चों से उस पर अधिकार कर लिया। कहते बड़ी व्यथा होती है कि वैदिक-धर्मावलम्बियों और बौद्धों का पारस्परिक कलह ही मुसल्मानों के इस विजय का कारण हुआ। इस विषय में अरब के ग्रन्थकारों के आधार से मौलाना मुहम्मद सुलेमान नदवीने अपने व्याख्यान में जो कुछ कहा है उसके हिन्दी अनुवाद का कुछ अंश अरब और भारत के सम्बन्ध नामक पुस्तक से नीचे उद्‌धृत किया जाता है:—

"सिन्ध का सबसे पहला और पुराना इस्लामी इतिहास जो साधारणतः 'चचनामा' के नाम से प्रसिद्ध है (जिसके दूसरे नाम तारीख़ुलहिन्द वल्‌सन्द और मिनहाजुल ममालिक हैं) उसको देखने से भलीभांति यह बात स्पष्ट हो जाती है कि उस समय सिन्ध में बौद्धों और ब्राह्मणों के बीच विरोध और शत्रुता चल रही थी। यह भी पता चलता है कि कुछ घरानों में ये दोनों धर्म इस प्रकार फैले हुये थे कि उनमें से एक हिन्दू था तो दूसरा बौद्ध। सिन्ध के राजाओं के विवरण पढ़कर इसी आधार पर मुझे यह निर्णय करना पड़ा है कि राजा चच हिन्दू ब्राह्मण थे। उसने लड़भिड़ कर छोटे छोटे बौद्ध राजाओं को या तो मिटा दिया था या उन्हें अपना करद बना लिया था। यह राजा ई॰ छठी शताब्दी के अन्त में सिन्ध का शासक था उसके बाद उसका भाई चन्द्र राजा हुआ। यह बौद्ध मत का कट्टर अनुयायी था। जिन लोगों ने पहले अपना धर्म छोड़ दिया था, उन्हें इसने बलपूर्वक बौद्ध बनाया था, यह देख हिन्दू ब्राह्मणों ने सिर उठाया, वह बिबश होकर लड़ने के लिये निकला, पर सफल नहीं हुआ। उसके बाद चच का लड़का दाहर उसके स्थान पर राजा हुआ।"

"ऐतिहासिक अनुमानों से यह जान पड़ता है कि जिस समय मुसलमान लोग सिन्ध की सीमा पर थे उस समय देश में इन दोनों धर्म्मों में भारी लड़ाई हो रही थी और बौद्ध लोग ब्राह्मणों का सामना करने में अपने