पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/३१४

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७- कलित ललित माला वा जवाहिर जड़ा था।
चपल चखन वाला चाँदनी में खड़ा था।
कटि तट बिच मेला पीत सेला नवेला।
अलिबन अलबेला यार मेरा अकेला।

टोडरमल अकबर के कर-विभाग के प्रधान मंत्री थे। बही खाता का प्रचार सब से पहले इन्हीं के द्वारा हुआ। हिन्दी दफ्तर का,पहले पहल इन्होंने ही फ़ारसी में किया। ये प्रधान कवि नहीं हैं और न इनका कोई ग्रन्थ है। स्फुट कवितायें इनकी मिल जाती हैं। इनकी एक रचना देखिये।

गुन बिनु धन जैसे गुरु बिनु ज्ञान जैसे।
मान बिनु दान जैसे जल बिनु सर है।
कंठ बिनु गीत जैसे हित बिनु प्रीति जैसे।
वेश्या रस रीति जैसे फल बिनु तर है।
तार बिनु जंत्र जैसे स्याने बिनु मंत्र जैसे।
नर बिनु नारि जैसे पुत्र बिनु घर है।
टोडर सुकवि तैसे मन में विचार देखो।
धर्म बिनु धन जैसे पच्छी बिना पर है॥

बीरबल अकबर के प्रधान मंत्रियों में से थे। जाति के ब्राह्मण थे, बड़े बीर भी थे। कविता के रसिक थे और स्वयं कविता करते थे। अपने समय में कविजन के कल्पतरू थे। प्रत्युत्पन्नमति ऐसे थे कि अकबर की दृष्टि में इसी कारण उनका विशेष आदर था। बड़े सरस हृदय थे और ललित कविता भी करते थे। दो एक पद्य देखियेः-

१- उछरि उछरि भेकी झपटै उरग पर
उरग पै केकिन के लपटैं लहकि है।
केकिन के सुरति हिये की ना कछु है भय
एकी करी केहरि न बोलत बहकि है।