पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/७०९

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होता तो मणिकाञ्चन योग हो जाता। पं० भगवती प्रसाद बाजपेयी, बा० जगदम्बा प्रसादवा और बाबू शम्भु दयाल सक्सेना ने मीठो चुटकी' नामक एक उपन्यास संयुक्त उद्योग से लिखा है । हिन्दी में यह एक नया ढंग है, जिसे इन सहृदय लेखकों ने चलाया। पं० भगवती प्रसाद बाजपेयी ने मुसकान, वावू जगदम्वा प्रसाद वर्मा ने बड़े बाबू तथा बाबू शम्भुदयाल सक्सेना ने 'बहूरानो' नामक उपन्यास लिखा है। ये लोग कहानियाँ भी अच्छी लिखते हैं। पं० प्रफुल्ल चन्द्र ओझा ने पतझड़', 'जेल की यात्रा', 'तलाक़' आदि उपन्यास लिखे हैं, जो अच्छे हैं। श्री मती तेजरानी दीक्षित प्रथम महिला हैं जो उपन्यासरचना की ओर प्रवृत्त हुई हैं। आप का 'हृदय का काँटा' नामक उपन्यास हिन्दी-संसार में अच्छी प्रतिष्ठा लाभ कर चुका है। पं० गिरिजादत्त शुल्क वो० ए० 'गिरीश' ने 'प्रेम को पोड़ा', 'पाप को पहेली', 'जगद्गुरु का विचित्र चरित्र', 'बाबू साहब', 'बहता पानी', 'चाणक्य, 'सन्देह' आदि उपन्यासों की रचना की है, जिनमें से बहता पानी और 'चाणक्य' अभी अप्रकाशित हैं। बाबूमाहव का दूसरा सँस्करण हो रहा है। इनके उपन्यासों में चिन्ता शोलता, भावुकता और सामयिकता पाई जाती है । उपन्यास का प्रधान गुण रोचकता और रुचि-परिमार्जन है पर्याप्त मात्रा में ये बातें इनके उपन्यासों में हैं। भाषा भी इनकी चलती और ऐसी होती है जैसी उपन्यास के लिये होनी चाहिये । कहीं कहीं उसमें गम्भीरता भी यथेष्ट मिलती है। ये सहृदय कवि भी हैं। इनका 'रसाल बन नामक पद्य-ग्रंथ कीर्ति पा चुका है और हाथों हाथ बिक चुका है। कवि-हृदय होने के कारण इनके उपन्यासों में कवित्व भी देखा जाता है और उसमें सरसता भी यथेष्ट मिलती है। लहरी बुक डिपो बनारस से कुसुम माला नाम से जो उपन्यासों की मालिका निकल रही है, उसमें भी कुछ अच्छे उपन्यास निकले हैं, ये उपन्यास बाबू दुर्गाप्रसाद खत्री के लिखे हुये हैं । इन उपन्यासों की भाषा बाबू देवकी नन्दन खत्री की चन्द्रकान्ता की सी है, जिनमें उर्दू के शब्दों का प्रयोग निस्संकोच भाव से किया जाता है। बाबू ब्रजनन्दन सहाय बी० ए० अच्छे उपन्यास लेखक हैं।