पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/८६

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हो गये। भारत के चार प्रदेशों ने इन्हीं के नाम के आधार से अपना नाम ग्रहण किया है, उन में से दो हैं गुजरात और गुजरानवाला, ये दोनों पंजाब के जिले हैं, तीसग है गुजरात प्रान्त । आलवरूनी जो दशवीं ईस्वी शताब्दी में यहाँ आया, चौथा नाम बतलाता है, यह वह प्रदेश है जो जयपुर के उत्तर पूर्वीय भाग तथा अलवर राज्य के दक्षिण भाग से मिलकर बना है, डाक्टर भाण्डारकर भी इस कथन की पुष्टि करते हैं। वे यह भी कहते हैं कि पिछले गुर्जर हिमालय के उस भाग से आये जिसे सपादलक्ष कहते हैं। यह प्रदेश आधुनिक कमायूं गढ़वाल और उसका पश्चिमी भाग माना जासकता है। पूर्वीयराजपुताना उस समय इन गुर्जरों से भर गया था। १

इन पंक्तियों के पढ़ने से आशा है यह स्पष्ट हो गया होगा कि किस प्रकार मध्य देश के विजयी गुजरात और राजस्थान में पहुँचे. और कैसे उनके प्रभाव से प्रभावित होने के कारण इन प्रान्ताे में अन्तरंग भाषा का प्रचार हुआ। यहां मैं यह भी प्रकट कर देना चाहता हूं कि गुर्जर विदशी भले ही हों, परन्तु वे मध्य देश वालों की सभ्यता के ही उपासक और प्रचारक थे. क्योंकि ब्राह्मणों द्वारा दीक्षित हो कर उन्होंने वैदिक धम में प्रवेश किया था। डाक्टर ग्रियर्सन लिखते हैं--

“अब इस बात को बहुत से विद्वानों ने स्वीकार किया है, कि कतिपय राजपूतों के दल परदेशी गुर्जरों के वंशज हैं, उनका केन्द्र आबू पहाड़ तथा उसके आस पास का स्थान था। प्रधानतः वे कृषक थे, पर उनके पास भी प्रधान लोग और योद्धा थे। जब यह दल गण्यमान हो गया, तो उनको ब्राह्मणों ने क्षत्रिय पदवी दी, और वे राजपुत्र अथवा राजपूत कहलाने लगे, कुछ उनमें से ब्राह्मण भी बनगये” २–गुर्जरों के ब्राह्मण क्षत्रिय बनने के सिद्धान्त का आजकल प्रवल खण्डन हो रहा है, परन्तु मुझ को इस वितण्डावाद में नहीं पड़ना है। मैं ने इन पंक्तियों

Bulletin of the School of Oriental Stude; London Institue(S13) p. 58

2 lbid. (S12) p. 57.