पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/१४

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पंडितराज का परिचय
जाति, वंश, अभ्युदय और शिष्य आदि

पंडितराज जगन्नाथ तैलंग[१] जाति के ब्राह्मण थे। उनका जातीय उपनाम वेगिनाडु अथवा वेल्लनाडु था, जिसे वेल्लनाटीय[२] भी कहा जाता है और जो श्रीमद्वल्लभाचार्य के सजातीय उत्तरभारतीय तैलंगो का, अब तक, उपनाम है। इनका एक 'उपनाम' त्रिशुली,[३] भी था, जो कि जयपुर की जनता में अब तक भी प्रसिद्ध है। उनके पिता का नाम पेरुभट्ट[४] अथवा पेरम[५] भट्ट था और माता का नाम 'लक्ष्मी'[६]। पेरुभट्ट महाविद्वान् थे। उन्होंने ज्ञानेद्र[७] भित्तु नामक विद्वान यति से वेदांत शास्त्र, महेद्र पंडित से न्याय और वैशेषिक शास्त्र. खंड


  1. '...तैलंग कुलावतंसेन पंडितजागन्नथेन...' ('आसफविलास' का आरंभ)।
  2. कुलपति मिश्र जी ने (आगे उद्धृत) अपने पद्य में 'बेलनाटीय' शब्द ही लिखा हैं।
  3. मिश्र जी ने भी यह उपनाम लिखा है। अतः यह संदेह अनुचित है कि त्रिशूली जगन्नाथ कोई अन्य था।
  4. रसगंगाधर में।
  5. प्राणाभरण में।
  6. रसगंगाधर में।
  7. रसगंगाधर के आरंभ का द्वितिय पद्य।