पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/१४८

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नही जानती अतएव तू यहाँ से बावड़ी नहाने गई थी, उस अधम (नायक) के पास नहीं। यह तेरी दशा से सूचित हो रहा है। देख तेरे स्तनों के ऊपर के भाग का चंदन हट गया है, नीचे के होठ का रंग (तांबूल का) बिलकुल साफ हो गय है, नेत्र पूर्णतया (पर आंतरिक अभिप्राय यह है कि प्रांत भागो मे) अंजन-रहित हो गए हैं और यह तेरा दुबला-पतला शरीर रोमांचित हो रहा है।

इस पर अप्पय दीक्षित यों विवेचन करते हैं। वे कहते हैं कि "स्तनों का चंदन साड़ी की रगड़ से भी हट सकता है, इस कारण नायिका ने "सब" कहा, जिससे यह सिद्ध होता है कि सब चंदन (बिना मर्दन के) साड़ी की रगड़ से नही हट सकता। पर नहाने से भी सब चंदन हट सकता है, इस कारण 'ऊपर के भाग का' कहा; जिससे यह सिद्ध होता है कि तूने स्नान नही किया, क्योंकि यदि तू स्नान करती तो सब स्थान का चंदन उड़ जाता; पर तेरे तो केवल ऊपर के भाग का ही उड़ा है, ऐसा प्रालिगन से ही हो सकता है। इसी प्रकार तांबूल लेने मे यदि देरी हो जाय तो होठ का रंग फीका हो सकता है; सो नहीं है, यह समझाने के लिये उसने 'बिलकुल साफ हो गया है' कहा, क्योंकि ऊपर के होठ के रंगे हुए रहने पर नीचे का होठ बिना चुंबन के और किस तरह साफ हो सकता है?" यहॉ से लेकर "यह भी ध्वनि का उदाहरण है। यहाँ तक के ग्रंथ से यह सिद्ध किया गया है कि जो

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