पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/१५६

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से ही काजल हट सका। इसी प्रकार तू दुबली है और ठंड पड़ रही है, सो शरीर रोमांचित हो गया है।" इस तरह चतुर नायिका की उक्ति के अभिप्राय का छिपा हुआ होना ही उचित है, नही तो उसकी सब चतुराई मिट्टी में मिल जायगी।

इस प्रकार जब इन वाक्यों के अर्थ साधारण होंगे, तो मुख्य अर्थ मे कोई वाधा न अवेगी; अतः यहाँ लक्षणा के लिये स्थान ही न रहेगा। वाच्यार्थ समझने के अनंतर जव यह सोचेंगे कि यह बात कौन किससे कह रही है, वात नायक के विषय की है, तब यह प्रतीत होगा-दुःख देने के कारण नायक को "अधम" कहा जा रहा है। और देखिए, वह अधम शब्द वाच्य और व्यंग्य दोनों अर्थों में समान रूप से अन्वित हो जाता है। फिर, "नायक ने, पहले, जो किसी प्रकार की बुराइयाँ की थी, उसके हिसाव से, नायिका ने उसे दुःखदायी वताया है", वाच्य अर्थ मे इस प्रकार समझा हुआ अधम शब्द व्यंजना-शक्ति के द्वारा "दूती से संभोग करने के कारण जो उसका दुःखदायित्व हुआ है। उस रूप में परिणत हो जाता है-उस शब्द से यह सिद्ध हो जाता है कि "नायक ने दूती से संभोग किया है।" यह है अलंकारशास्त्र के ज्ञाताओं के सिद्धांत का सार।

इससे "अधम-शब्द का अर्थ हीन है, और हीन दो प्रकार से हो सकता है-एक जाति से, दूसरे कर्म से। सो उत्तम नायिका अपने नायक को जाति से हीन तो वता नहीं सकती। अब रही कर्म से हीनता, सो उसे भी, दूती के संभोग आदि,