पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ८२ )


सौंदर्यमय वस्तु है और उसमे परमानंद की प्रतीति हुए बिना नहीं रहती।

रस कौन-कौन और कितने हैं?

पूर्वोक्त रस-शृंगार, करुण, शांत, रौद्र, वीर, अद्भुत, हास्य, भयानक और बीभत्स इस तरह नौ प्रकार का है; और इसमे प्रमाण है भरत मुनि का वाक्य। पर कुछ लोग कहते है-

शान्तस्य शमसाध्यत्वान्नटे च तदसम्भवात्।
अष्टावेव रसा नाट्ये न शान्तस्तत्र युज्यते॥

अर्थात् शांतरस के सिद्ध करने के लिये शांति की आवश्यकता है, और (सांसारिक झगड़ों में व्याप्त) नट मे उसका होना असंभव है, अतः नाट्य मे आठ ही रस होते हैं, उसमें शांतरस का होना नहीं बन सकता। इस बात को दूसरे विद्वान् मानना नहीं चाहते। वे कहते हैं आपने जो यह हेतु दिया है कि 'नट मे शांति का होना असंभव है', सो असंगत है-इस बात का यहाँ मेल नहीं मिलता, क्योंकि हम लोग नट मे रस का अभिव्यक्त होना स्वीकार ही नहीं करते। वह शांत रहे अथवा अशांत, यदि सामाजिक लोग शांतियुक्त होगे, तो उन्हे रस का आस्वादन होने में कोई बाधा नही। आप कहेंगे-यदि नट मे शांति न होगी तो वह शांतरस का अभिनय ही प्रकाशित नही कर सकेगा, तो हम आपसे कहेगे-नट जब भयानक अथवा रौद्ररस की अभिव्यक्ति के लिये अभिनय करता