पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/२८

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'नीलकंठविजय' को कवि ने अपनी आयु के तीसवें वर्ष मे लिखा है और कवि जिस समय बारह वर्ष का था, उसी समय सत्तर वर्ष के वृद्ध अप्पय दीक्षित ने उस पर अनुग्रह किया था। अतः अप्पय दीक्षित का जन्म सन् १५५० ई॰ होता है[१]

ऊपर उद्धृत बाल कवि के श्लोक से यह सिद्ध होता है कि अप्पय दीक्षित का देहावसान ७२ वर्ष की अवस्था में हुआ था। महामहोपाध्याय श्री गंगाधर शास्त्रीजी ने सिद्धांतलेशसंग्रह के काशीवाले संस्करण की भूमिका में एक पद्य स्वयं अप्पय दीक्षित का भी उद्धृत किया है। वह यों है—'वयांसि मम सप्ततेरुपरि नैव भोगे स्पृहा न किंचिदहमर्थये शिवपदं दिदृक्षे परम्। अर्थात् मेरी अवस्था इस समय ७० वर्ष से ऊपर है, अब मुझे विषय-भोग की अभिलाषा नहीं रही, अब तो केवल कैलासवास की इच्छा है।' इससे भी यही सिद्ध होता है कि उनका प्रयाण उपर्युक्त श्लोक के वर्णित समय में ही हुआ होगा। सो ब्रह्मविद्यापत्रिका के अनुसार उनका मृत्युकाल १६२२ ई॰ सिद्ध होता है, जो शाहजहाँ के राजत्व काल से पहले है।

पर यह बात पूर्णतया निर्णीत नहीं कही जा सकती। क्योंकि यह मानना कि 'दीक्षितजी ने सत्तर वर्ष की अवस्था में


  1. "ब्रह्मविद्यापत्रिकाकारास्तु—'नीलकंठविजयश्च कविना त्रिंशे वर्षे प्राणायि। कविश्च द्वादशवर्ष एव सप्ततिवयसा दीक्षितेनानुगृहीतः। अतस्तेपामवतारकालः कल्पाब्दः ४६५०, शकाब्दः १४७१, सन् १५५०' इत्युजादहुः"। (सिद्धांतलेशभूमिका)।