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इसी को आधुनिक विद्वान् 'स्वभावोक्ति' अलंकार कहते हैं।
उदारता
"चुम्बनं देहि मे भार्ये! कामचण्डालतप्तये।"
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चूमन दै स्वहिं मेहरिया! करु तिरपत सर-डोम।
"अरी मेहरिया। तू काम रूपी चंडाल को तृप्त करने के लिये मुझे चूम लेने दे" इत्यादि ग्रामीण बातों का हटा देना 'उदारता' कहलाता है।
ओज
'आज गुण' पाँच प्रकार का है-
१-एक पद के अर्थ का अनेक पदों में वर्णन क ना,
२-अनेक पदों का अर्थ एक ही पद में वर्णन कर देना,
३-एक वाक्य के अर्थ का अनेक वाक्यों में वर्णन करना,
४-अनेक वाक्यों के अर्थ का एक वाक्य में वर्णन और
५-विशेषणों का किसी प्रयोजन से युक्त होना; निरर्थक न होना।