पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/३५४

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मे वे दोनो भी ध्वनित होते हैं, तो स्वप्न की अभिव्यक्ति उन्हे रोक नही सकती।

१८-विबोध

निद्रा के नष्ट होने के अनंतर जो बोध उत्पन्न होता है, उसे 'विबाध' कहते हैं। निद्रा का नाश निद्रा के पूरे हो जाने, स्वप्न का अंत हो जाने और बलवान शब्द तथा स्पर्श से होता है, इस कारण वे इसके विभाव हैं और आँखें मलना, शरीर का मर्दन करना आदि अनुभाव हैं। संक्षेप से उदाहरण लीजिए-

नितरां हितयाऽध निद्रया मे बत! यामे चरमे निवेदितायाः।
सुदृशो वचन शृणोमि यावन्मयि तावत्लचुकोप वारिवाहः॥
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हर पाछले सुनयनिहिं नींद मिलाई आज।
वचन सुनन पूरव कुपित भयो जलद बिन काज॥

नायक अपने मित्र से कहता है-आनंद का विषय है कि मेरा हित चाहनेवाली निद्रा ने, पिछले पहर मे अर्थात् सबेरा होते-होते, मुझसे मेरी प्रिया को मिलाया, पर ज्योंही मैं उसका वचन सुनता हूँ, त्योंही मेरे ऊपर जलधर कुपित हो गया; उसने गरजकर सब मजा किरकिरा कर दिया।

यहाँ गर्जना सुनना विभाव है और प्रिया के वचन सुनने के लिये जो उल्लास हुआ था, उसका नाश अनुभाव है; पर