पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/३८८

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अभिव्यक्त करता है। परंतु इस पद्य मे है नायक के प्रेम की ही प्रधानता; क्योंकि पूरे वाक्य का अर्थ वही है-यह पद्य उसी के वर्णन मे लिखा गया है।

अच्छा, अब अनेक नायकों के विषय में प्रेम का उदाहरण सुनिए-

भवनं करुणावती विशन्ती गमनाज्ञालवलाभलालसेषु।
तरुणेषु विलोचनाब्जमालामथ वाला पथि पातयाम्बभूव॥
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विशत भवन, देखे गवन, आयसु चहत, दयाल।
बाल, तरुन-गन पै करी, नैन-नीरजनि माल॥

कवि कहता है-बालिका जब अपने घर में घुसने लगी तो उसने देखा कि मार्ग मे युवा पुरुषों की एक टोली की टोली बिदाई के लिये किचिन्मात्र आज्ञा प्राप्त करना चाहती है। करुणावती बालिका से न रहा गया, उसने सब युवाओं के ऊपर एक ही साथ नेत्र-कमलों की माला गिरा दी-सभी को प्रेमभरी दृष्टि से देख लिया।

यहाँ, कोई-एक नायिका कहीं से आ रही थी; रास्ते मे उसके रूप-यौवन ने कुछ युवकों का चित्त चुरा लिया और वे लगे उसके पीछे पीछे चलने। नायिका जब घर में घुसने लगी, तो उसने देखा कि वेचारे युवक अपनी सेवा की सफलता समझने के लिये, बिदाई के प्राज्ञारूपो लाभ के लिये, ललचा रहे हैं; और उसे उनका परम परिश्रम स्मरण हो आया-उसे

र॰-१८