पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/४४

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विषय-विवेचन

काव्यलक्षण का विवेचन



कवि और काव्य

इस ग्रंथ को स्वयं ग्रंथकर्ता ने 'काव्यमीमांसा'[१] कहा है, और सबसे पहले काव्य-लक्षण का ही विवेचन किया है; अत: यह सोचिए कि जिसकी मीमांसा इस ग्रंथ में की जा रही है और जिसका लक्षण सबसे प्रथम लिखा गया है, वह काव्य क्या वस्तु है? अर्थात् काव्य शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है? और साथ ही यह भी सोचिए कि वह काव्य-लक्षण अब तक किन किन विवेचकों की टक्करें खाकर किस किस रूप में परिणत हो चुका है।

'काव्य' शब्द का अर्थ, व्याकरण की रीति से, 'कवि[२] की कृति' होता है, अर्थात् कवि जो कार्य करता है, उसे 'काव्य' कहा जाता है। तब यह समझने की आवश्यकता होती है कि कवि शब्द का अर्थ क्या है, और वह क्या कार्य करता है। व्याकरण के अनुसार कवि शब्द का अर्थ


  1. मननतरितीर्णविद्यार्णवो जगनाथपंडितनरेंद्रः। रसगंगाधरनान्नीं करोति कुतुकेन काव्यमीमांसाम्।—प्रथमानन, ७ श्लोक।
  2. 'गुणवचनब्राह्मणादिभ्यः कर्मणि च' इति कर्मणि प्यञ्।