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क्या भारत एक राष्ट्र है?
 

शासन में अंग्रेज़ी का है, मुसलमान काल में फ़ारसी का था, गुप्त साम्राज्य में संस्कृत, तथा मौर्य्य साम्राज्य में पाली का था। घोषणा-पत्र हिन्दुस्तानी में निकल सकते हैं और सम्भव है उन्हें सम्पूर्ण भारत में थोड़ा-बहुत समझ भी लिया जाय—यद्यपि सन्देह इसमें भी है क्योंकि अँग्रेज़ी घोषणाओं को समझने के लिये आजकल भी प्रान्तिक भाषाओं में अनुवाद करना पड़ता है और अशोक के आदेशों में भी प्रान्तिक प्रकृतों का प्रभाव पाया जाता है—किन्तु सम्पूर्ण भारत के लोगों के हृदयों तक तो हिन्दुस्तानी की पहुँच कभी नहीं हो सकती। चण्डीदास, तुकाराम, नरसी मेहता तथा बाबा नानक की सुधा-सूक्तियों के लिये तृषित आत्माओं की तृप्ति क्या राम-चरित-मानस अथवा सूरसागर कर सकेगा? ऐसी आशा करना अस्वाभाविक है। हिन्दुस्तानी भारत की 'राजभाषा' भले ही हो जाय, किन्तु 'राष्ट्रभाषा' नहीं हो सकती।

हिन्दुस्तानी, संस्कृत, अथवा अंग्रेज़ी जैसी कृत्रिम भाषाओं से काम नहीं चलेगा। इस के लिये हमें लोगों की अपनी जीती-जागती भाषाओं की ओर जाना पड़ेगा। भाषा-सर्वे के अनुसार आजकल भी भारत की भाषा एक नहीं है किन्तु यहाँ १८८ पृथक् भाषाएँ बोली जाती हैं। इसमें बोलियाँ सम्मिलित नहीं हैं। बोलियाँ को मिलाने से यह संख्या ५४४ से भी ऊपर पहुँच जाती है। प्राचीन काल में भी भारत के भिन्न भिन्न भागों में पृथक् पृथक् प्राकृतें बोली जाती थीं। यह कहा जा सकता है कि यह भाषा-सर्वे कठिन वैज्ञानिक रीति से की गई है तथा थोड़ी संख्या