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हिन्दी-राष्ट्र
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गया था। किन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि स्वाभाविक रीति से पोलैण्ड तीन राज्यों में विभक्त होना चाहिए था। स्वाभाविक और अस्वाभाविक राज्यों में क्या भेद है यह हमें अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। प्राचीन समय में भी बड़े बड़े साम्राज्य बने हैं जिन्होंने अपनी शक्ति के द्वारा भिन्न भिन्न राष्ट्रों को मिला कर कम से कम कुछ काल तक तो एक केन्द्र से शासन किया है, किन्तु इससे उन साम्राज्यों में सम्मिलित राष्ट्रों के अस्तित्व तथा उनके पृथक् राज्य होने के स्वत्व के विरुद्ध कुछ भी सिद्ध नहीं होता। यदि जापान योरप पर आधिकार कर ले और अपने योरपीय साम्राज्य की राजधानी पेरिस को बनाकर सम्पूर्ण योरप पर सुव्यवस्थित शासन करने लगें, तो इससे यह सिद्ध नहीं होगा कि इंग्लैण्ड, फ्रान्स, जर्मनी तथा इटली इत्यादि देशों के, जो जापानी शासन में कदाचित् प्रान्त कहलायँगे, पृथक् राज्य होना स्वाभाविक नहीं है। योरप पर एक केन्द्र से शासन होना अस्वाभाविक होगा।

यह बात भारत के सम्बन्ध में भी हो सकती है। यह विचार इससे और भी दृढ़ होता है कि प्रायः भारत के बराबर ही क्षेत्रफल के योरप-उपद्वीप में, जहाँ साधारण तथा स्वाभाविक रीति से राष्ट्र विभाजित है, २२ पृथक् पृथक् राज्यशक्ति रखने वाले राष्ट्र हैं। जन संख्या तथा क्षेत्रफल में बृटिश भारत के प्रान्त योरप के इन स्वतंत्र राष्ट्रों से टक्कर लेते हैं। नीची दी हुई तुलनायें पाठकों को अवश्य रोचक मालूम होंगी :—