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क्या भारत एक राष्ट्र है?
 

भौगोलिक परिभाषा के अनुसार देश कहा जा सकता है। उत्तर के मैदानों में पंजाब और बंगाल जलवायु, भूमि, समुद्र से उँचाई तथा पैदावार आदि में एक दूसरे से बहुत विभिन्न हैं। मालावार और राजस्थान की कोई तुलना नहीं हो सकती। इस प्रादेशिक विभिन्नता का प्रभाव अन्य बातों पर पड़ता है। देशवासियों की बनावट, रहन-सहन, रीति-रिवाज, सामाजिक-संगठन, भाषा, धर्म तथा राज्य आदि सभी बातें अलग अलग साँचों में ढलने लगती हैं। आर्थिक हानि-लाभ भी भिन्न हो जाते हैं। उड़ीसा में अकाल पड़ने पर मालवा अथवा पंजाब पर इस बात का कोई सीधा असर नहीं पड़ता। यदि बाहर जाने वाले गेहूँ पर कर लगाया जाय तो इसका असर पंजाब पर विशेष पड़ेगा, क्योंकि गेहूँ उसी भूमि-भाग में अधिक पैदा होता है—बंगाल को इससे कुछ अधिक हानि-लाभ न होगा। कोई भी ऐसा भूमि भाग एक देश नहीं कहला सकता, जहाँ एक ओर बारहो महीने बर्फ़ जमा रहे और दूसरी ओर भट्टी की सी गर्मी रहे; एक ओर वर्ष में सैकड़ो इंच पानी गिर जाय और दूसरी ओर एक बूंद भी न गिरे। जिस भूमि-भाग में हज़ारों नदियाँ, सैकड़ों पहाड़, सैकड़ों मील रेगिस्तान तथा हज़ारों मीलों में हरे-भरे खेत तथा दुर्गम जंगल हों, वह एक देश कैसे कहा जा सकता है? भारत में देश सम्बन्धी एकता कदापि नहीं है। जैसे योरेशिया महाद्वीप में योरप, चीन तथा मुसलमानी उपद्वीप पृथक् हैं, वैसे ही भारत भी पृथक् है। हिमालय के कारण यह विभिन्नता और भी स्पष्ट है; किन्तु इसका