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हिन्दी-राष्ट्र
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भारत के मुख्य हिन्दू धर्म के भी विशेष रूप भिन्न भिन्न भागों में पाये जाते हैं। पञ्जाब में नानक-मत का अधिक प्रचार है। बङ्गाल की दुर्गा पूजा तथा महाराष्ट्र को गणेश पूजा प्रादेशिक धार्मिक उत्सव हैं। यदि किसी ने काशी में दुर्गा पूजा और दशहरे का उत्सव साथ साथ देखा होगा, तो उसे बंगाल और संयुक्त प्रान्त के धार्मिक भावों का अन्तर स्पष्ट रूप से विदित हो गया होगा। दुर्गा पूजा के दिन काशी का प्रत्येक बंगाली दशाश्वमेध पर दिखलाई पड़ेगा। उस दिन मालूम पड़ता है कि काशी मानो हुगली के किनारे बसी है। दशहरे पर ढूँढ़ने पर भी बंगाली कठिनाई से मिलता है। दशहरा भी तो हिन्दू धर्म का बड़ा भारी उत्सव है और बंगाली भी हिन्दू हैं, तब फिर बंगालियों को उसके मानने में उत्साह क्यों नहीं होता? कारण स्पष्ट है। बंगालियों ने हिन्दूधर्म के दुर्गा पूजा के रूप को अपना रक्खा है, इसलिए उस ओर ही उनका उत्साह झुकता है। इससे इतना तो स्पष्ट हो जाना चाहिए कि भारत के प्रधान हिन्दू धर्म में भी कुछ प्रादेशिक विभिन्नतायें हैं। साम्प्रदायिक तथा दार्शनिक विचारों की विभिन्नता पर विचार करना। यहाँ असंगत होगा।

भारतवर्ष में कई वर्गों के लोग बसते हैं

वर्ग (Race) की एकता का प्रश्न भी राष्ट्रीयता के लिए गौरण है। साधारणतया भारतीय आर्य सन्तान कहलाते हैं, किन्तु वैज्ञानिक निर्णय के अनुसार निम्नलिखित सात वर्गों के लोग भारत में पाये जाते हैं :—