१. आर्य—काश्मीर की घाटी में, पञ्जाब में सिंधु नदी से लेकर अम्बाला के समीप तक, और राजस्थान में।
२. सिदियन-द्राविड़—महाराष्ट्रासिन्ध तथा गुजरात में।
३. आर्य-द्राविड़ अथवा हिन्दुस्तानी—सरहिन्द, संयुक्तप्रान्त और बिहार में।
४ मंगोल-द्राविड़—बंगाल और उड़ीसा में।
५. तुर्की-ईरानी—पश्चिमोत्तर प्रान्त, बलूचिस्तान, तथा पंजाब और सिंध के उन भागों में जो सिन्धुनदी के पश्चिम में हैं।
६. मंगोल—आसाम, बर्मा, भूटान और नेपाल में तथा संयुक्तप्रान्त, पंजाब और काश्मीर के हिमालय के भीतरी प्रदेशों में।
७. द्राविड़—दक्षिण भारत में। सम्भव है, यह वर्गीकरण पूर्ण रूप से शुद्ध न हो, तो भी सम्पूर्ण भारतीयों को आर्य वर्ग का मानना भी तो अत्युक्ति हो होगी। अंपढ़ आदमी भी गोरे काश्मीरी और काले आदि-द्राविड़, पंजाबी सिक्ख और बंगाली बाबू, महाराष्ट्र ब्राह्मण और नेपाली गोरखे के शरीर की बनावट एक सी बताने में हिचकेगा। जैसा ऊपर कहा जा चुका है, धर्म के समान वर्ग का भी राष्ट्रीयता के साथ बहुत निकट का सम्बन्ध नहीं है। अतः इस बात पर अधिक विचार करना यहाँ आवश्यक नहीं है।