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हिन्दी-राष्ट्र
 

बोल जाती हैं जिन्हें हम लोग नहीं समझ सकते, अतः इस सम्पूर्ण पहाड़ी भूमि-भाग को भी इस सिद्धान्त के अनुसार छोड़ना पड़ेगा।

परन्तु पश्चिम में राजपूताने के जैसलमीर राज्य से लेकर पूर्व में बिहार के भागलपुर जिले तक तथा उत्तर में यमुना और सतलज के बीच में अम्बाला नगर से लेकर दक्षिण में मध्य प्रान्त के रायपुर तक के भारत के शेष मध्य भाग के इस प्रकार सहसा विभाग करना सरल नहीं है। साधारणतया यह कहा जा सकता है कि इस सम्पूर्ण भूमि-भाग में एक ही भाषा-हिन्दुस्तानी–बोली जाती है, यद्यपि लोगों की ठेठ बोलियों के रूप कुछ कुछ भिन्न अवश्य हैं। भाषा सर्वे के अनुसार इस भूमि-भाग में भी तीन या चार भिन्न भाषायें हैं। बिहार प्रान्त में दर्भङ्गा की मैथिली तथा पटना की मघई बोलियाँ और बनारस-गोरखपुर की भोजपुरी बोली, यह तीनों मिलाकर बिहारी-भाषा के नाम से एक जगह एकत्रित की गई हैं। राजपूताने की मारवाड़ी, मेवाड़ी जयपुरी और मालवी बोलियों को राजस्थानी भाषा नाम दिया गया है। शेष मध्य भाग की भाषा हिन्दी मानी गई है, यद्यपि इसके भी पूर्वी और पश्चिमी हिन्दी के नाम से दो भिन्न रूप माने गये हैं। मेरठ के निकट की खड़ी बोली पानीपत के चारों ओर की बांगडू, मथुरा की ब्रजभाषा, कन्नौज की कन्नौजी तथा बुंदेलखण्ड की बुंदेली, इन पाँच बोलियों को पश्चिमी हिन्दी कहा है; तथा अवध की अवधी, बघेलखण्ड की बघेली और छत्तीसगढ़ की छत्तीस