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हिन्दी-राष्ट्र
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प्रजा के पति ये हिन्दू नरेश एक एक कर के या तो मार डाले गए या हार कर इन्होंने हिमालय की अज्ञात घाटियों, विन्ध्य के दुर्गम वनों अथवा राजस्थान की निर्जन मरुभूमि की शरण ले ली। सच्चे सिंहों के समान इन्हें भी जीता पकड़ लेना सरल न था। इनकी सन्तति अब भी इन बीहड़ स्थानों में देखने को मिल सकती है।

परन्तु गंगा की घाटी की प्रजा अब भी नहीं जगी। पाँच छः सौ वर्ष तक इन पर मुसलमानों का शासन रहा। अन्तिम मुसलमान शासक आरम्भ के उन आक्रमण करने वाले अरब के मुसलमाओं से भिन्न हो गए थे। इसका कारण था। इन आक्रमण करने वाले अरब के मुसलमानों ने हमारे देश के बहुत से लोगों को मुसलमान-धर्मावलम्बी बनाया। धीरे धीरे मुसलमानी धर्म जानने वाले इन भारतीयों की संख्या बहुत अधिक हो गई। अन्तिम मुसलमान शासकों के समय में देश में जो सुशासन हो। चला था उसका कारण यही था कि देश का शासन प्रायः भारतीय लोगों के हाथ में हो गया था, यद्यपि इनमें से बहुत से मुसलमान-धर्म्मावलम्बी अवश्य थे। अन्तिम मुसलमान शासकों ने एक बार फिर बल पकड़ा और राजपूत राजाओं का सहारा मिल जाने से साम्राज्य स्थापित करने की बीमारी एक बार फिर फैली। इस बार प्रजा को भी बहुत दुःख भोगने पड़े, किन्तु अब तो प्रजा इतनी निर्जीव हो गई थी कि रौंदे जाने पर भी करवट नहीं लेती थी। गंगा की घाटी का मुसलमान शासन से अंग्रेज़ों