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हिन्दी-राष्ट्र
 

के शासन में जाना ठीक वैसा ही था जैसा गिरवी रक्खी हुई चीज़ को दस्तावेज़ बदल कर दूसरे को सौंप देना। क्लाइव ने बंगाल और बिहार के सूबों की दीवानी, कम्पनी बहादुर को ठीक इसी दस्तावेज़ी रीति से दिलाई थी।

शासन के पुराने स्वाभाविक विभाग अब प्रायः पूर्ण रीति से नष्ट हो चुके थे। हमारे इन नये शासकों ने जिस क्रम से हमारे पुराने मालिक मुसलमान अथवा हिन्दू शासकों से ये दस्तावेज़ें छीनी थीं उसी क्रम से ये इन्हें रखते गए। ब्रिटिश भारत का प्रान्तीय विभाग इसी सिद्धान्त के अनुसार—यदि इसे सिद्धान्त कहा जा सकता है—हुआ है। हमारे यहाँ के भोले भाले लोग तो अंग्रेज़ों के इस मनमाने क्रम से बनाए हुये प्रान्तों पर ही गौरव करने लगे हैं। मध्यप्रान्त अपने में कुछ ऐतिहासिक ऐक्य अनुभव करने लगा है, अजमेर का प्रान्त अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग ही पकाना पसन्द करे तो कुछ आश्चर्य नहीं। देहली के नन्हें से प्रान्त की प्रजा अंग्रेज़ी भारत साम्राज्य के केन्द्र होने पर ही गौरव करने लगी है। हमारी गिरी हुई अवस्था की यह पराकाष्ठा है।

गंगा की घाटी के लोगों का भविष्य में राजनीतिक रूप तथा उसका विस्तार यहाँ के पुराने जनपदों या राज्यों के ही ठीक अनुरूप हो, यह सम्भव नहीं। काल तथा स्थिति को विभिन्नता को भुला देना उचित न होगा। एक समय था जब देश में प्रत्येक गाँव अपनी अलग अलग खाई और कच्ची दीवार के सहारे अपनी