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हिन्दी-राष्ट्र
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हिन्दीराष्ट्र गंगा की घाटी में बसता है

राष्ट्र के लक्षणों में देश की एकता का अर्थ केवल इतना ही है कि देश के एक भाग से दूसरे भाग में आने जाने में कठिनाई न होती हो। आजकल विज्ञान की उन्नति के कारण आने जाने तथा समाचार पाने की अनेक सुविधायें हो गई हैं, अतः आज कल के देश, पहले के देशों से बड़े हों तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। देश के ऐक्य में या तो दूरी बाधक होती है या प्राकृतिक दुर्गम बाधायें। तिब्बत और गंगा की घाटी एक देश नहीं कहे जा सकते, क्योंकि बीच में हिमालय का दुर्गम प्राकार है। बंगाल और सिन्ध एक देश नहीं हो सकते, क्योंकि ये एक दूसरे से बहुत दूर हैं, यद्यपि बीच में कोई विशेष प्राकृतिक बाधा नहीं है। इस दूरी अथवा प्राकृतिक बाधा का प्रभाव लोगों पर पड़ता है, इसीलिए देश के ऐक्य के सिद्धान्त को भी राष्ट्र के लक्षणों में मानना पड़ता है। जिस समय उड़ीसा में सहस्रों स्त्री, पुरुष और बच्चे भूख से तड़प तड़प कर प्राण देते हों उसी समय धन-धान्य-पूर्ण गुजरात में लोग विलास में समय-यापन कर रहे हों यह बिलकुल संभव है। इसमें देश की विभिन्नता ही कारण हो सकती है। एक देश में यह बात सम्भव नहीं। जिसने लोगों पर सुख दुःख का प्रभाव प्रायः एक सा तथा एक साथ पड़ता हो उतने ही लोगों में आपस में सच्ची सहानुभूति तथा ऐक्य हो सकता है।

उत्तर भारत में इस प्रकार के एक देश का रूप स्थिर करने के