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हिन्दी-राष्ट्र
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अतः इन प्रदेशों का भी साथ रहना आवश्यक है। क्या छत्तीसगढ़ के लोग निकट होने के कारण उड़ीसा या आन्ध्र लोगों के साथ रहना पसन्द करेंगे?

राजस्थान का भूमि-भाग कुछ नहीं तो देशी राज्यों की शासन-प्रणाली की एकता के कारण ही कुछ भिन्न मालूम पड़ता है। गंगा की घाटी से यह प्राकृतिक रूप में भी भिन्न है। अरावली के उस पार मारवाड़ का देश तो बिलकुल ही पृथक् हैं। यद्यपि राजस्थान के लोग हमारे ही भाई-बन्धु हैं जो मुसलमानों के आक्रमण के समय में अपने पूर्वपुरुषों की भूमि, गंगा को घाटी को छोड़ कर वहाँ जा बसे थे, किन्तु कई सौ वर्षों से पृथक् रहने के कारण इनके रहनसहन, वेषभूषा, भाषा तथा सामाजिक और धार्मिक विचारों में बड़ा अन्तर हो गया है। शासन प्रणाली को विभिन्नता को तो ऊपर बताया ही जा चुका है, जिसके कारण और भी बहुत सी बातों में भेद हो जाया करता है। संयुक्तप्रान्त के किसानों की अवस्था सुधारने के प्रश्न को राजस्थानी भाई अपने देश में रहते हुये ठीक ठीक नहीं समझ सकते।

हिन्दू-मुस्लिम समस्या

जैसा ऊपर दिखलाया जा चुका है भाषा, राज्य, हानि-लाभ तथा देश इन चार ऐक्यों के अतिरिक्त कुछ अन्य बातें भी हैं जो राष्ट्र के बनने में सहायक होती हैं। इनमें से धर्म्म के सम्बन्ध में हिन्दी-भाषा-भाषी प्रदेश में हिन्दू और मुसल्मान धर्म्मों का प्रश्न बड़ा जटिल है। धर्म्म का प्रभाव भिन्न-भिन्न धर्म्मानुयायी लोगों