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सूबा हिन्दुस्तान
 

भय है तो फिर भाषाओं के आधार पर स्वाभाविक प्रान्तिक विभाग करने का प्रश्न उठाना हो व्यर्थ है! एक एक या दो दो करोड़ की जनसंख्या के एक से सब सूबे बना देने चाहिए। यही इस भय को मिटाने का एक मात्र उपाय है। भारत को एक राष्ट्र मानने वाले लोगों को इस में कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए। परन्तु बंगभंग के आन्दोलन की बीसियों नयी आवृत्तियों को देखने की इच्छा क्या अपनी महासभा को होगी?

सबसे पहिले इस सम्बन्ध में हम हिन्दी-भाषा-भाषियों को आपस में भली प्रकार विचार कर लेना चाहिए, तब इस प्रस्ताव को बाहर रखना उचित होगा। इस बड़े सूबे में वर्त्तमान निम्नलिखित प्रान्त सम्मिलित होंगे—संयुक्त प्रान्त, हिन्दुस्तानी मध्य प्रान्त, उड़ीसा को छोड़ कर शेष बिहार, दिल्ली, पंजाब में अम्बाले तक का सरहिन्द का भाग जिसकी भाषा हिन्दुस्तानी है, अजमेर, मध्य भारत के देशी राज्य तथा राजपूताना। इस अवस्था में इस बड़े सूबे का क्षेत्रफल प्रायः ४ लाख वर्ग मील होगा और जनसंख्या प्रायः १० करोड़ हो जावेगी। इस सूबे के शासन में कुछ विशेषता होगी। प्रायः आधा सूबा देशी राजाओं के शासन में होगा और शेष अंग्रेज़ी शासन में होगा; परन्तु इस कारण से कोई कठिनाई नहीं पड़नी चाहिए। जर्मन साम्राज्य में कई छोटे राज्य थे, किन्तु इस कारण वहाँ के शासन में कोई भारी बाधा कभी नहीं पड़ी। जिस प्रकार आज कल के प्रान्तों में कुछ देशी राज्य सम्मिलित हैं, उदाहरण के लिए