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हिन्दी-राष्ट्र
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संयुक्त प्रान्त में बनारस, रामपुर और गढ़वाल के राज्य, उसी प्रकार इस बड़े सूबे में मध्यभारत और राजपूताने के राज्य भी रह सकते हैं। महासभा की वर्तमान नीति देशीराज्यों के विषय में उदासीन रहने की है, अतः इस समय राजपूताना तथा मध्य भारत के राज्यों को छोड़ा जा सकता है, किन्तु यह सदा न हो सकेगा। एक भाषा बोलनेवाले लोग, चाहे वे इस समय अंग्रेज़ी शासन में हों या देशी राज्यों में, भविष्य में पृथक नहीं रह सकते। इसी कारण इस सम्बन्ध में विचार करने के लिए देशी राज्यों को भी सम्मिलित कर लिया है।

इतने विशाल सूबे के होने से उसको ठीक ठीक प्रदेशों में विभक्त करने का प्रश्न अत्यन्त महत्व का है। जब भाषाओं के आधार पर सूबों का संगठन किया गया है, तब बोलियों के स्वाभाविक विभागों को ध्यान में रखते हुए प्रदेशों की रचना करना अत्यन्त युक्तिसङ्गत प्रतीत होता है। 'भाषासर्वे' के अनुसार इस भूमि-भाग में निम्नलिखित सोलह मुख्य बोलियाँ बोली जाती हैं—खड़ीबोली, बांगडू, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुन्देली, अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, मालवी, जयपुरी, मारवाड़ी, गढ़वाली और कमायूनी, अतः इस बड़े सूबे को इन सोलह प्रदेशों में बड़ी सुगमता से विभक्त किया जा सकता है। इस काम में कुछ अत्यन्त प्राचीन ऐतिहासिक स्मृति भी छिपी हुई है, जो इस प्रकार के विभाग को और भी सार्थक तथा मधुर बना देती है। इन वर्तमान बोलियों के भूमि-भागों और यहाँ के प्राचीन