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सूबा हिन्दुस्तान
 

बुन्देली बोलियों, और पूर्वी में अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी बोलियों की गिनती की गई है।

भारत के मध्यभाग की भाषाओं के इस वैज्ञानिक विभाग के आधार पर बिहार और राजस्थान के दो पृथक् सूबे होने चाहिए। बिहार का पृथक् सूबा आजकल भारत-सरकार तथा महासभा दोनों ने मान रक्खा है। मुसलमान-काल में भी बिहार का सूबा प्रायः अलग रहा है। मौर्य तथा गुप्त साम्राज्य भी वास्तव में बिहार के लोगों के साम्राज्य थे। वैदिक धर्म के कलुषित तथा क्षीण हो जाने पर इसी भूमि से बुद्ध भगवान ने सनातन धर्म में प्रथम बार व्यापक सुधार करने का प्रयत्न आरम्भ किया था। अतः बिहार के सूबे के अलग करने में ऐतिहासिक क्रम भी समर्थक है। भाषाशास्त्र के सूक्ष्म भेदों को छोड़ कर शेष बातों में ग्रियर्सन महोदय ने भोजपुरी लोगों की गणना हिन्दी-भाषा-भाषी लोगों के साथ की है। इस समय भी भोजपुरी भूमिभाग संयुक्त-प्रान्त में है अतः इस भूमि-भाग के बिहार में जाने का प्रश्न तब तक उठाना उचित न होगा जब तक इस भूमि-भाग की जनता ही इसके लिये उत्सुक न हो। उड़ीसा को वर्तमान बिहार-सूबे से अवश्य अलग कर देना चाहिये। महासभा ने तो ऐसा मान ही रक्खा है।

राजस्थान के सूबे में प्रायः सम्पूर्ण वर्तमान राजपूताना आ जायगा। इसके अतिरिक्त मध्य-भारत का इन्दौर राज्य अर्थात् मालवा का प्रदेश भी इसमें मिलाना चाहिये क्योंकि यहाँ की