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हिन्दी-राष्ट्र
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मालवी बोली राजस्थानी भाषा में आती है। यहाँ के लोग भी राजस्थानियों से अधिक मेल खाते हैं। इस सूबे की विशेषता इसकी राजतन्त्र शासन-प्रणाली होगी। वर्तमान समय में भी राजपूताना अलग है। अजमेर को केन्द्र बना कर भविष्य में राजस्थान का एक पृथक् सूबा 'संयुक्त-भारत' में बहुत अच्छी तरह बन सकता है। निकट भूतकाल में भारत के क्षत्रियत्व की लाज हमारे इन्हीं राजपूत भाइयों ने रक्खी थी, अतः एक सूबे के रूप में इनका एक पृथक् संघ होना उचित ही है। सूबा राजस्थान मध्यकालीन हिन्दू-भारत की कुछ कुछ याद दिलाने का काम देगा।

सूबा हिन्दुस्तान

वैज्ञानिक पृथक्करण के अनुसार पूर्वी और पश्चिमी हिन्दी दो भिन्न भाषाएँ मानी गयी हैं। ग्रियर्सन साहब के मत में तो पूर्वीहिन्दी, पश्चिमीहिन्दी की अपेक्षा, पंजाबी के अधिक निकट है। इसी प्रकार पश्चिमीहिन्दी, पूर्वीहिन्दो की अपेक्षा, पजाबी के अधिक निकट है। इतनी विभिन्नता मानने पर भी सर्वे में अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी बोली को पश्चिमी-बिहारी भाषा कहने के स्थान पर पूर्वी-हिन्दी-भाषा कहना ही उचित समझा गया, यह आश्चर्य है। इससे तो यही विदित होता है कि इन बोलियों में बिहारीपन व्याकरण के कुछ सूक्ष्म भेदों में भले ही हो, किन्तु वैसे अन्य सब बातों में ये पश्चिमी हिन्दी की बोलियों से ही मिलती हैं। बात भी ऐसी ही है। क्या आगरे में रहनेवाले