पृष्ठ:हिंदी राष्ट्र या सूबा हिंदुस्तान.pdf/८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
हिन्दी-राष्ट्र
७४
 


सवा करोड़ का अवध का सूबा या ३७ लाख का छत्तीसगढ़ का सूबा अलग हो सकता है, लेकिन साथ ही साढ़े चार करोड़ से अधिक सूबा बंगाल और प्रायः दो करोड़ के महाराष्ट्र को भी भूलना नहीं चाहिए। घर में जबर्दस्ती की दीवारें खड़ी करने से लाभ ही क्या? यद्यपि प्राचीन जनपदों के अनुसार शासन के स्वाभाविक विभाग यही होंगे, किन्तु साथ ही वर्तमान नवीन परिस्थिति तथा इस कारण से उत्पन्न अपने हानि-लाभ पर की दृष्टि रखनी चाहिए। फिर यह विभाग भाषा के अनुसार भी तो न होंगे। क्या जबलपुर और कानपुर के लोग भिन्न-भिन्न भाषाओं में अपना कार्य करेंगे? कदापि नहीं।

भारत के इस वृहत् मध्यभाग के इन चारों प्रकार के विभागों की रीति पर ध्यान देते हुए सब से उत्तम तो यही मालूम होता है कि इसके तीन पृथक् सूबे बिहार, हिन्दुस्तान तथा राजस्थान के नाम से रहें। इन तीनों सूबों की व्यवहार की भाषा एक हिन्दु-स्तानी होने के कारण, भारत के अन्य सूबों की अपेक्षा, इनका आपस में बहुत घनिष्ट सम्बन्ध रहेगा। एक प्रकार से यह आवश्यकता के कारण किये गए एक ही बड़े घर के तीन टुकड़े होंगे। इनमें बीच का, भारत का हृदय, सूबा हिन्दुस्तान होगा जहाँ की भाषा और लोग भारत तथा संसार में 'हिन्दुस्तानी' के नाम से प्रसिद्ध हो सकते हैं।