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हिंदी राष्ट्र
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संयुक्त-प्रान्त के नामकरण की आवश्यकता

सबसे प्रथम आवश्यकता अपने देश अथवा वर्तमान संयुक्तप्रान्त को उचित नाम देने की है। भारतवर्ष में केवल यह एक हिन्दी-भाषा-भाषी जन-समुदाय ही ऐसा अभागा है कि न तो जिसके देश का हो कोई नाम है और न जहाँ के देशवासियों को ही किसी एक नाम से पुकारा जा सकता है। यदि आप किसी कलकत्ते के रहने वाले से पूछिये तो वह बड़े गर्व से कहेगा कि मैं बंगाल का रहने वाला हूँ। अहमदाबाद का रहने वाला अपने को गुजराती बतला देगा। अमृतसर का रहने वाला अपने को पंजाबी समझता है। पूना वालों का देश महाराष्ट्र है। किन्तु काशी, अयोध्या, प्रयाग, लखनऊ, आगरा, मेरठ तथा दिल्ली के रहने वाले जानते ही नहीं कि वे कहाँ के रहने वाले हैं। उनके देश का नाम यदि कोई है तो वह है "संयुक्त-प्रान्त" अथवा "मुमालिक मुतहद्दा आगरा व अवध"। अंग्रेज़ी पढ़े-लिखे अपने को "यू॰ पी॰ मैन" समझते हैं। बंगाल में हमारे प्रान्त को "अप-कन्ट्री" के नाम से पुकारा जाता है। हमारा राष्ट्र किस अवस्था में है तथा भारत के अन्य राष्ट्र अभी भी हम से कितने आगे हैं इसका पता इसी एक छोटी सी बात से चल जाता है। बिना नाम का आदमी भला अपना परिचय कैसे दे सकता है।

हमारे प्रान्त के नाम का यह स्वांग अब बन्द हो जाय इस सम्बन्ध में तुरन्त प्रयत्न होना चाहिये। हिन्दी-भाषा-भाषियों को चाहिये कि "संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध" के स्थान पर