ईसा १२६ सुखसे प्रांख लगा न सके, दूसरे दिन अनन्त निद्रामें हुये। इस समय उक्त प्रदेशमें रोमराज्यका प्रभाव शायित हुये। विस्तत था। सुतरां यहूदियों में प्राणदण्ड देने की शक्ति वृहस्पतिवारको सन्ध्याकाल ये यखेरिष्टका पवि न रही। उन्होंने अपना दोष छोड़ान को ईसाके व्रता-ज्ञापक केयासो-पासकाल-भोजोत्सव पर्व मनाने | दण्डका भार रोमक शासनकर्ता (Procurator)के मस्ये सशिष्य जेरूसलमनगर गये थे। वहां भोजनपर बैठ डाला था। रोमक शासनकर्ता पिलेट (Pilate) विना ईसाने जोहन और पीटरसे अपने हत्याकारियों को विचार अपराधीको दण्ड दे न सके। डेरे ( Preto- बात कही। अतःपर ये गथसमन (Gethsemane)के rium)में नाना तर्कवितकके बाद पिलेटने इन्हें छोडा जैतून-बाग में जा भक्ति और प्रेमसे विह्वल हो गये था। उसपर यहूदियोंके तरह तरहका गड़बड़ थे। उसी समय मशाल लिये युदास और विश्वास- लगानेसे पिलेटको गालिलीमें ईसाके रहने की बात घातक पुरोहित वहां जा पहुंचे। उन्होंने छलनापूर्वक मालूम पड़ी। इससे उन्होंने इनको राजा हेरोदके ईसाको फसला पकड़ लिया था। पोटरका निषेध न निकट विचारार्थ भेजा था। हेरोदमे निर्दोष ईसाको मान इन्होंने उनके हाथ अात्मसमर्पण किया। शत्रके छोड़ फिर पिलेटके पास पहुंचा दिया। हस्त बन्दी होनेबाद ईसाको छोड़ शिष्य भाग गये। द्वितीय वार विचारमें इनकी निर्दोषिता प्रमाणित ___ यहूदी ईसाको पकड़ उसी रात विचाराथ एन्नास | होते भी उद्दत यहूदियोंके मनोरञ्जनार्थ पिलेट फिर नामक कूटनीतिज्ञ पुरोहितके पास लाये। मध्य- टतोय वार विचारमें प्रवृत्त हुए। यहदियों, सामरियों रात्रिको ही इनका विचार होने लगा। विचारक तथा गालिलियों के अपने विरुद्ध राजद्रोही बन पोछे पुरोहितोंके समक्ष ईसाने आत्मरक्षार्थ कोई बात कही राष्ट्रविप्लव उठानेके भय, अपनी स्त्रीको प्रार्थना और न थी। विचारक मारपीट कर भी जब इनके मुखसे दण्डादेशपालनकारीको प्रशान्त-मूर्तिके सन्दर्श नसे कोई बात निकला न सके, तब हस्त-पद बांध एन्नास करुणाई चित्त हो उन्होंने ईसाका वेत्राघात लगा जामाता कायाफास ( the de facto high-priest). छोड देनको ठहरायी थी। किन्तु पुरोहितों एवं के पास ले चले। उस समय भी रात्रि बीती न थी। सानहेद्रिनोंके घोर चीत्कार और उत्तेजित लोगांके कायाफासने सानहेट्रिनों से विचारसमितिका सङ्गठन कल्लोलकोलाहलसे वह अपना अभिलाष पूर्ण कर न किया। यहां हो सटुसी पुरोहित आ पहुंचे थे। सके। पिलेट इस भयसे उनके विरुद्ध कोई प्रस्ताव नानारूप तकके बाद उन्होंने ईसासे पूछा,-"तुम कैसे करते-पीछे कहीं शासनकर्ताक विरुद्ध लोग मसीहा या ईश्वरके पुत्र हो, या नहीं?" इन्होंने उत्तर- | अस्त्र न उठायें। तत्काल 'पासोवार' उत्सवके में कहा था,-"हां, मैं हो मसीहा या ईश्वरका पुत्र भेटकी तरह बन्दी छोड़ने की प्रथा रही। ईमाके ई।" इन्होंने दूसरी बार भी बताया था,-"तुम विद्देषियोंने इसी उपलक्ष्यमें उनसे इन्हें अपनेको सौंप मृतुके पोछे मेघमध्य मेरा पुनरागमन देख लोगे।" | देने की प्रार्थना की थी। पिलेट इस बातको टाल कायाफास यह बात सुन, क्रोधसे अधौर बन, अपने | न सके, किन्तु ईसाको छोड़नेके लिये बार बार शरीरका वस्त्र फाड़ और ईसाको देवविद्देषो बता उन्हें समझाने लगे। ऐसी चेष्टासे भी वे उत्तेजित चिल्ला उठे-सानहेट्रिन-समिति इनके प्रति मृत्य यहूदियोंको शान्त कर न सके थे। उन्होंने राजद्रोही दण्डका आदेश देती है। तथा हत्याकारी बारह अब्बासोको छोड़ दिया, किन्तु __हितीय विचारके बाद ईसा प्रातःकाल पर्यन्त | ईसाको फांसीपर चढ़ानेके लिये उन्मत्त भावसे प्रहरी-परिवेष्टित हो कक्षके मध्य प्रवरुद्ध रहे। दूसरे चीत्कार किया। उसी समय यहूदी ईसाको रक्त- दिन सवेरे सानहेट्रिनोंने एकत्र हो फिर विचार प्रारम्भ वर्णका जीर्णवस्त्र पहना सव समक्ष लाये थे। इनके किया। इस बार भी ये मृत्युदण्डसे ही दण्डित ! शिरयर कण्टकमय मुकुट और हस्तमें राजदण्ड-खरूप