पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१४५

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ईसाई रहे, किन्तु शेषको घोर विरोधी बन गये। नूतन | बढ़ा। सम्राट्ने उसके मिटाने के लिये अनेक यत्न किया, मताबलम्बीके प्रति वे घोर अत्याचार करने लगे थे! किन्तु कोई फल न हुआ था। पोपके भक्तको सम्माट- का साहाय्य मिला। १८वों नवम्बरको सम्राटके उस समय अनेक व्यक्तियोंने खिजरलेण्ड भाग अधीनस्थ धर्माध्यापकगणके कहनेसे जो आदेश निकला, अपने प्राण बचाये। उधर रोमक-समाजमें पूर्व गौरव उद्धार करनेके विशेष यत्न चला और रोमाधि वह संस्कारकके पक्षपर विशेष अनिष्टकर पड़ा था। पतिने संस्कारक मतावलम्बियोंको दबानेके लिये संस्कारक दल स्मालकल्द नामक स्थानमें एकत्र हुपा। सकल प्रोटेष्टाण्ट मिल गये। उन्होंने इङ्गलेण्ड और युद्धका डडा बजाया। १५२६ ई०को स्पायार नगरमें राजनैतिक महा फान्सके भूपतिदयसे साहाय्य मांगा। सभा लगी। वहां जर्मन सम्राटके दूत लथरके जर्मन सम्राट्ने सब सुना था। उन्होंने सोचा- कार्यका प्रतिवाद चला संस्कारकको उत्सन्न करने- अब अस्त्रबलसे सुविधा न रहेगी। १५४२ ई०के समय की चेष्टा करने लगे। किन्तु उनको सकल चेष्टा गटिसबरनको सभामें सम्राट्ने संस्कारकको शान्ति निष्फल गयो। सभाके अधिकांश सभ्यो'ने संस्कारका दी थी। सभामें ठहर गया-शीघ्र ही एक सभा पक्ष पकड़ा, किन्तु जर्मन-सम्राटका मन न भरा, और लगा सकल विषयका पुङ्खानुपुङ्ख रूपसे विचार किया फिर सभाको आहत किया। पहले जमैनौके राजाको जायेगा। इतने दिनमें प्रोटेष्टाण्ट समाजको धमता उन्होंने धर्मका जो अधिकार दिया, वह छीन लिया। दृढ हो गई थी। सभामें स्थिर हा धा-ईसाई समाजको पर्वतन रीति १५४२ ई०को सभाको प्रतिज्ञासे पोपने इटलीके नौति एवं पूजापद्धतिके विरुद्ध कोई कुछ कह और ट्रेण्ट नगरमें विराट सभा लगाने का अभिप्राय खोला। किसी प्रकारका संशोधन कर न सकेगा। सम्राटके रोमक-समाजके प्रधानने अनुमोदन किया था। इस दारुण प्रादेशसे जर्मनीके समस्त सम्भ्रान्त व्यक्ति किन्तु प्रोटेष्टाण्टोंने कहा-पोपक अधिकारभुक्त अत्यन्त विरक्त हुये। लथरके सकल मतावलम्बी स्थानमें यह सभा हो नहीं सकती। मिलकर तीव्र प्रतिवाद करने लगे थे। उस समयपर पोपने प्रोटेष्टाण्यांसे कहला भेजा,-समाजके जो लोग रोमक समाजसे निकल पड़े, वेही "प्रोटे 1 संस्कारमें मेरा कुछ भो अमत नहीं, मैं रोमक समाज- टाट" ( Protestant) अर्थात् 'प्रतिवादी' नामसे के संस्कारका विशेषतः अभिलाषी इं। संस्कारक उससे ख्यात हुये। थोड़ा शान्त पड़े। पोपने समाजके संस्कारका भार उक्त प्रतिवादके ममय पोपमा 'चार कार्डिनालोपर डाला था। किन्तु उनका देखाया इटली में रहे। जर्मनीके राजन्यवर्गने दूत द्वारा उनसे हुआ सकल संस्कारविधि अत्यन्त अयौक्तिक और पोप अनेक दुःखकी बात कहला भेजी थी। किन्तु सम्राट- तथा कार्डिनालगणक स्वार्थसे जडित था। ने उसपर भूक्षेप न किया। पोपने भी सम्राट्को यह उधर जर्मन-सम्राट्ने प्रोटेष्टाण्टोंको ट्रेण्टको सभामें कह कर भड़काया था,-'वास्तविक पाप ही इस पहुंचनेके लिये अनेक प्रलोभन दिया, किन्तु समय ईसाई समाजके रक्षक हैं। सुतरों अपने मतके किसीने कुछ कान न किया। फिर वह असिके बलसे विरुद्ध उभरनेवालोंको बिलकुल दबा देना चाहिये। विवादको मीमांसा करने चले थे। प्रोटेष्टाण्ट समाजके सम्राट जर्मनी पहुचे। अगसबर्गमें राजनैतिक नेतागणने भो आसन्न विपसे अपने बचावको अस्त्र सभा लगी थी। सभामें लूथरके सहचर. मेलङ्कथनने उठाया। इसी समय (१५४६ ई.) महात्मा लूथरने धीर-गम्भीर भावसे अपना मत और विश्वास प्रकाश आइसलबन नगरमें शान्ति भावसे इहलोक छोड़ा था। किया पीछे रोमके धर्माध्यापकमण उसके प्रति ___ इधर लूथरके मृत्युका संवाद, उधर रणभेरीके वादका यत्न करने लगे। उभय पक्षपर विवाद ! वाद्यका घोर निनाद! जर्मन-सम्राट और पोप एकत्र