पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२१९

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२१८ उत्पक्ष्मन्-उत्पन्नभक्षिन् उत्पक्षमन्, उत्पशाय देखो। .. पतन, उड़ान। ४ प्रलय, कयामत । ५ लाभ, फायदा । उत्पविष्णु (स. त्रि०) पाक करनेके योग्य, जो फलको भांति उद्गम, नतीजे जेसी पैदायश । पकाने के काबिल हो। उतपत्तिकालीन (स.त्रि.) उद्भवके समय होने- उत्पट (स० पु०) उत्-पट-अच् । १ वृक्षादिको वाला, जो पैदायशके वक्त हो। वक्को भेदकर उगत होनेवाला निर्यास, पेड़की उत्पत्तिकम (सं० पु०) जगतको उतपत्तिका पारि- छालको फोड़कर निकलने वाला गोंद। पाव्य, दुनियाको पैदायशका तरीका। उपनिषदके मतमें आत्मासे आकाश, आकाशसे वायु, वायुसे अग्नि, "त्वच एवास्य रुधिरं प्रस्यन्दि त्वच उत्पटः।" (शतपथब्राह्मण १४।६।३१) 'उत्पट: उच्चनिर्यासः' (भाष्य) । अग्निसे जल, जलसे पृथिवी, पृथिवीसे ओषधि, ओषधिसे अब, अन्नसे रेतः और रेतःसे पुरुषको २ उपरिच्छद, उपरना, टुपट्टा, ऊपरी कपड़ा। उत्पत्ति है। उत्पत (स• पु) उत् पतति अर्ध्वं गच्छति, उत्- उत्पत्तिप्रयोग (सं० पु०) १ कारण और कार्यके पत-अच् । १ पक्षी, चिड़िया। २ अर्ध्वगमन, जप- | संयुक्त रूपसे उद्भव, सबब और समरेको मिली हुई रको जवाई, उड़ान । हरकतसे पैदायश। २ अर्थ, मानो, मतलब । उत्पतत् (स त्रि) अर्व अथवा अधः उड्डयन | उत्पत्तिमत् (सं० त्रि०) उत्पन्न, पैदा, उपजा करनेवाला, जो ऊपर या नीचे उड़ रहा हो। हुआ। उत्पतन (सलो .) उत्-पत-लुट्। १ अव- | उत्पत्तिव्यञ्जक (सं० पु.) १ उद्भवका आदर्श, पैदा- गमन, उड़ान, चढ़ाव। २ उत्पत्ति, पैदायश । ३ उदय, | यशको सूरत। २ दो बार उत्पन्न होनेका चिन्ह, निकास। ४ उत्थान, उठान। ५ उत्प्लवन, भगाई।। दुबारा उपजने का निशान् । उत्पतनिपता (स० स्त्री०) उत्पतनिपत इत्यु- | उत्पत्तिात्क्रम ( स० पु० ) विपरीत भावसे च्यते यस्यां क्रियायाम्। जल एवं अधः उड्डयन, | उतपत्ति, उलटी चालको पैदायश। ऊपर और नीचेको उड़ान। उत्पथ (स० पु०) १ असत्पथ, बुरी राह । उत्पताक (स.वि.) उत्तोलिता पताका यस्मिन् । (अव्य.)२ शास्त्रके विरुद्ध, अण्ड-बण्ड । उत्तोलित पताकायुक्त, जिसमें झण्डे उड़ें। उत्पथप्रतिपत्र, उत्पथप्रवृत्त देखो। "उत्पताकध्वजच्छवशोभियुग्यार्पितासनम् ।” (राजतरङ्गिणी) | उत्पथप्रवृत्त (स'• त्रि.) असत्, मन्द, बुरा, खराब, उत्पताकध्वज (सं० त्रि०) उत्तोलित पताका एवं बुरी राह या चाल पकड़नेवाला। ध्वजायुक्त, जिसमें भण्डे और निशान उड़ते रहें। - उत्पद्यमान ( स० वि० ) उत्-पद-यच-शानच् । उत्पतित (सं० वि०) उत्-पत-त। १ उस्थित, जायमान, पैदा हो जानेवाला। उठा हुआ। २ उद्गत, निकला हुआ। उत्पन्न (सं० त्रि०) उत्-पद-क्त । १ जात, पैदा, उतपतितव्य (स.त्रि०) अवं उड़ाया जानेवाला, उपजा।२ उस्थित, उठा।३ अकस्मात् उद्धृत, एकाएक जो ऊपर उड़ाये जानेके काबिल हो। निकला। ४ प्राप्त, हासिल किया, पाया। ५हुपा, उत्पतिळ (स• त्रि०) ऊर्ध्वगमनकारी, ऊपर पड़ा। ६ समाप्त, बना। ७ परिचित, समझा- चढ़नेवाला, जो कूद पड़ता हो। बूझा। उत्पतिष्णु (स० वि०) उत्-पत-इष्णुच् । उत्पतन- उत्पबतन्तु (सं.वि.) सन्तानको श्रेणी रखने- शौल, उड़ने या उछल पड़नेवाला। वाला, जिसके औलादका सिलसिला रहे। . सत्पत्ति (सं. स्त्री०) उत्-पत-तिन्। १ उद्भव, उत्पनभक्षिन (संत्रि .) प्राप्त द्रव्यको खा डालने ना, पैदायश, उपज । २ आविर्भाव, देखाव । ३जल- वाला, जो हासिल किया हुआ माल उड़ा देता हो।