पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२८०

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उद्दे जनौय-उधेड़ना २६ ४ कष्ट, तकलीफ। ५ पश्चात्ताप, पछताव। (त्रि.)। उधम, अधम देखो। ६ भयप्रदर्शक, डरावना। उधर (हिं. क्रि०-वि०) तत्र, वहां, उस ओर। “स्थानप्रातिविहीना हि गौतवत् कुलकन्यका। उधरना (हिं. क्रि०) १ उद्दार होना, छटना। २ उद्दार उहे जनो परस्यापि अयमाणैव कर्णयोः ॥” (कथासरित्सागर २४।२५) करना, छोड़ाना। ३ उधड़ना, अलग-अलग हो जाना। उहजनीय (स० वि०) भयप्रदर्शक, कंपा देनेवाला। उधरसे ( हिं.क्रि.वि.) १ उस ओर या तसे। उद्देजित (सत्रि०) उत्-विज-णिच-त! १ शित, उधराना (हिं. क्रि०) १ वायुसे इतस्ततः होना, • अफसुर्दा। २ भयाकुल, घबराया हुआ। हवा में उड़कर बिखर जाना। २ मदोन्मत्त होना, उहदि (संत्रि .) उन्नता वैदि यत्र । उब्रत वैदियुक्त, झगड़ा लगाना। जची वेदीवाला। उधलना (हिं. क्रि.) १ कामातुर होना, मस्त उद्देय (सं० त्रि.) वायुके साथ मिश्रणयोग, जी पड़ना। "धी न बेटी उधल गई समधे टो।" (लोकोक्ति) हवामें मिलाया जा सकता हो। २ अन्य पुरुषके साथ पलायमान होना, दूसरे उद्देल (सं० त्रि०) उत्क्रान्तो वेलायाम्, अत्या. समा०। सदको लेकर भागना। ३ नष्ट होना, बिगड़ना। १ अपने तीरका सावित करनेवाला, जो अपना उधली (हिं. स्त्रो०) कामासी, छिनाल, बिगड़ी किनारा डुबा रहा हो। २ सोमातिक्रान्त, हदको औरत। "उधली वह वलेंड़े सांप देखाये।” (लोकोक्ति ) लांघ जानेवाला। ३ कुलातिक्रान्त, अपने खान्दानको उधाड़ (हिं० पु. ) उखाड़, कुश्तीका एक पेंच । इसमें हद छोड़ देनेवाला । “समयोद्दे लजलराशिजलैः।" (कथासरित्०) । एक पहलवान दूसरेको लंगोटा पकड़ कर उठाता उहलित, उहे ल देखो। और भूमिपर गिराता है। उद्देष्ट ( स० पु०) १ चतुर्दिक् वेष्टन, घेराई । २ नगर- उधार (हिं. पु.) १ ऋए, कज । “नौ नकद न तेरह वेष्टन, शहरको घेर लेनेका काम। . उधार।" ( लोकोनि) २ दैन, मंगनो। ३ उहार, उद्देष्टन (स. क्लो०) उत्-वेष्ट-लुट। १ हस्तपादका नजात। आवेष्टन, हाथरको बंधाई। २ उन्मोचन, खोलाई। उधारक (हिं.) उद्धारक देखो। ३ आलिङ्गन, हमागोशी, लिपटाई । उधारना (हिं० क्रि०) उद्धार करना, छोड़ाना। "इदयोद्देष्टन तन्द्रा लालानुतिररोचकः।" (सुश्रुत ) | उधारी (हिं.वि.) उद्धार करनेवाला, जो निजात उद्देष्टनीय (संत्रि०) उन्मोचनयोग्य, खोल देने के काबिल। देता हो। उद्देष्टित (स. त्रि.) चतुर्दिक धावत, चारो ओरसे उधुनाला-बङ्गाल प्रान्तके सन्ताल परगने का एक पुराना घिरा हुआ। नाला और गांव। यह राजमहलसे दक्षिण मोल : उद्दोढ़ ( स० पु०) उत्-वड्-टच् । वर, शौहर, दूल्हा । अक्षा• २४° ४४३० उ० और ट्राधि० ८७° ५३ १५" “उहोढ़ापि भवेत् पापी ससर्गात् कुलनायिके। पू०पर अवस्थित है। १७६३ ई में मेजर अदम्सने वेश्यागमनज' पाप तस्य पुसो दिने दिने ॥” ( महानिर्वाणतन्त्र ) यहां नवाब मोरकासिमको फौज हरायी थी। गड़- उधः ( स० क्लो०) वह प्रापणे उन्द क्लदने वा असुन्। खाइयोंका वसावशेष आज भी विद्यमान है। मुगलोंने पापौन, स्तन, बाख, चायन। नालेपर जो बढ़िया पुल बनाया, उसे गङ्गाको धारने उधड़ना (हिं.क्रि.)१ अपावृत होना, उचड़ जाना। आगे बढ़कर बहाया है। २ उद्घाटित, होना, खुलना। ३ निस्त्वचौतभूत | उधेड़ना (हिं. क्रि०) १ पृथक् पृथक् करना, खोलना। होना, खाल खिंचना। ४ ताड़ित होना, बेत पड़ना। २ अपात करना, उचाड़ना। ३ ग्रथित करना, .५ उन्मुक्त होना, छट जाना।। ६ नष्ट होना, बर: उलझाना। ४ तोड़ना। ५ विजय करना, जीतना। बादौमें पड़ना। ... ...... ५ इतस्ततः फेंकना, बिखराना। ७ निधन करना,