पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३१

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इदंकार्याइभ इदकार्या (सं० स्त्री०) दुरालभा लता, जवासा। इदावत्सरीय (सं• त्रि.) इदा वत्सर-सम्बन्धीय, इदहसु (वै.वि.) इसमें और उसमें समृद्ध, इसका इदावत्सरवाला। और उसका अमौर।। इटुवत्सर, इदावत्सर देखो। इदन्तन (सं० त्रि०) अस्मिन् काले भवः, निपातनात् इद्दत (अ० स्त्री०) शास्त्रविहित परोक्षाका समय, व्य ल तुट च। इदानीन्तन, पाधुनिक, नया। कानुनी जांचका वक्त । पतिको मृत्य होनेपर स्त्रीको इदन्ता (सं० स्त्री०) अस्य भावः, इदम्-तल्। अङ्गु दूसरा विवाह करने के लिये चालीस दिन राह देखना ल्यादि द्वारा बतानेका विषय, शिनाख त, पहचान। पड़ती है। इसोको इद्दत कहते हैं। इद्दतसे स्त्रीके इदम्पकार (सं० अव्य०) इस रीतिसे, ऐसे तौरपर! गर्भ रहने या न रहनेका पता लगता है। इदम्प्रथम (सं० त्रि०) प्रथमतः कार्यकारी, पहले | इद्दतमें बैठना (हिं.क्रि.) एकान्तमें रहना, किसी पहल काम करनेवाला। पुरुषसे न मिलना। इदम्मय (सं० पु०) इदम्-मयट । इसके द्वारा प्रस्तुत, इद (सं० लो०) इन्ध भावे क्त। १ रौद्र, धप । जो इससे बना हो। २ दीप्ति, चमक। ३ आश्चर्य, ताज्जुब। (त्रि. ) इदा (वै. अव्य.) इदम्-दाच वैदे निपातनात् । ४ निर्मल, साफ। ५ दग्ध, जला हुआ। ६ प्रदीप्त, इस समय, अब। रौशन। ७ आश्चर्यमय, अनोखा । ८ अप्रतिहस, इदानी (सं० अव्य० ) इदम्-दानीम् । दानीच । पा ५॥३१८॥ आज़ाद, जो रुका न हो। अधुना, सम्पति, अब, इस समय । "तमिङमाराधयितु सकर्णकः।" (माघ ) इदानीन्तन (सं० त्रि०) वर्तमान, मौजूद, नापायदार। इदमन्य ( सं० त्रि०) क्रुद्ध, गुस्से में पाया हुआ, जिसके इटावतसर (सं. पु.) इदा इति वत्सरः, शाक- गु.स्सा सुलग उठे। तत्। पांच संवत्सरादिके मध्य एक । सवत्सर, इडा (सं० अव्य.) प्रकाश्य, खुले तौरपर । परिवतसर, इदावत्सर, अनुवत्सर और उदावत्सर इवाग्नि (वैत्रि.) प्रदीप्त अग्नियुक्त, जिसके आग पांच वर्ष होते हैं। संवत्सरमें तिल, परिवत्सरमें | जले। यव, इदावत्सरमें अन्न एवं वस्त्र, अनुवत्सरमें धान्य | इद्दत्सर, इदावत्सर देखो। और उदावतसरमें रौप्य दान करनेसे अधिकतर फल | इवत्सरीय, इदावत्सरौय देखो। मिलता है। नभोमण्डल सूर्य और चन्द्रमण्डलके इध (सं० त्रि०) प्रदीप्त, चमकता हुआ। यह शब्द साथ जो समग्रकाल विताता, उसमें शुक्ल प्रतिपतको समासके अन्त में आता है, जैसे-अग्नीध। सूर्यसंक्रान्ति पड़ने और सौर तथा चान्द्रमासका एक- इधर (हिं.क्रि.वि.) १ अत्र, यहाँ, इस तर्फ, कालीन उपक्रम लगनेसे संवत्सर आता है। फिर इस राह, इस जगह । २ इहलोकमें, इस दुनियापर। सौर मास पड़नेसे वत्सरमें छः दिन बढ़ते और चान्द्र इधर-उधर (हिं क्रि० वि०) १ इतस्ततः, जहां- मास पानसे छः दिन घटते हैं। इसी प्रकार बारह तहां। २ चारो ओर, सब तफ, नीचे ऊपर । दिनके व्यवधानसे दोनोका अग्र पश्चात् भाव कम हो | जाता है। ऐसे ही पांच वत्सर बीतने पर दो मलमास इधरसे उधर करना (हिं. क्रि०) स्थानमें परिवर्तन पड़ते हैं। फिर षष्ठ वत्सर संवत्सर होता है। डालना, सरकाना, बेजगह रख देना। समकालमें लगने और सौर तथा चान्द्रमासयुक्त रहने- इधरसे उधर होना (हिं. क्रि०) १ खो जाना, चल वाले वत्सरको संवत्सर कहते हैं। सौर तथा चान्द्र- पड़ना, लम्बी लेना। २ स्थानच्यत किया जाना, बेतर- मास प्रारम्भ होते जिस वत्सर विषम मास आता, तोबीमें पड़ना । ३ लुढ़कना, उलट जाना । वह परिवत्सर कहाता है।

इम (स' क्लो०) इध्यतेऽग्निरनेनेति, इन्ध-मक् ।