पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उरःक्षतकास-उरणाच उर:क्षतकास (सं• पु०) क्षयकासरोग, तपेदिकको : उरगसारचन्दन (स० पु.ली.) चन्दनविशेष, किसो खांसी। किस्म का सन्दल। "अतिव्यवायभाराध्वयुद्धावगजनिग्रहः । उरगस्थान (सलो०) उरगाणां सर्पाणां स्थानम। रक्षस्योर:चतं वायुर्य हौवा कासमावहत् ॥” (निदान) पाताल। उरःसूत्रिका (स० स्त्री०) उरसः सूत्रमिव, कन्, उरगादि, उरगाशन देखो । टाप अत इत्वम् । मुक्ताहार, छातीपर लटकनेवाले उरगाय (हिं.) उरुगाय देखो। मोतियों की माला। उरगारि, उरगाशन देखो। उरःस्थल ( स० क्लो० ) वक्षः, हृदय, दिल, छाती। | उरगाशन (स'० पु०) उरगान् सर्पान् अश्नाति, उरय- उरई (हिं. स्त्री०) १ उशीर, खस। २ युक्तप्रान्तके अश-ल्यु। १ सर्पभक्षक गरुड़। २ मयूर। जालौन जिलेकी एक तहसील और नगरी। यह उरगास्य ( सं० ली.) अवदारणविशेष, किसी किस्मका अक्षा.२५° ५८ ५“उ० तथा द्राधि० ७८.२८°२५ फावडा । पू० में कालपीसे झांसी जानेवाली सड़कपर अवस्थित उरगिनी (हिं.) सरगी देखो। है। पहले उरई छोटीसी बसती थी। किन्तु १८३८ उरगी (स. स्त्री०) नागिनी, सांपन। ई में जालौन जिलेका हेडक्वार्टर बनने पर यह बहुत उरगेन्द्र, उरगराज देखी। शीघ्र बढ़ गयी। यहां युक प्राचीन दुर्गका ध्व'सावशेष उरगेन्द्रसुमन (सं० क्ली. ) नागकेशर। पड़ा है। कपड़ेका वुनाई अधिक होती है। पृथ्वी उरङ्ग (सं० पु.) उरसा गच्छति, उरस-गम-ड राजके समय माहिल राजा थे। उरई का मैदान | निपातनात् साधुः। सर्प, सांप। मशहूर है। उरङ्गम (सं० पु० ) उरस्-गम-खच्। सर्प, सांप। उरक (सं० पु.) शिवका एक परिचर। उरच्छ (सं० पु.) गुन्द्र, रामशर। उरकना (हि. क्रि०) ठिटकना, ठहरना, रुक उरज (हिं० ) उरोज देखो। रहना। उरजात (हिं.) उरोज देखो। उरग (सं. पु०) उरसा गच्छतोति, उरस-गम-ड उरझना (हिं. क्रि०) फंसना, गांठ डालना। सलोपः। “उरसो लोपश्च।" (पा ३।२।४८ वार्तिक) १ सर्प, उरण (सं० पु०) ऋ-क्यच धातो-रुच्च रपरः। अतः सांप। २ शोषक, सोसा। ३ अश्लेषानक्षत्र । "उरग क्यु जुन् । उण ५.१७) १ मेष, भेड़ा, मेढ़ा। (ऋक् २०१४१४ ) विधिशताख्याशरीनाथबारे।” (ज्योतितत्त्व) ४ नागकेशरवृक्ष। २ मेघ, बादल । ३ एक वेदोक्त असुर। इसे इन्द्रने उरगग्रह (सं.ली.) सर्पग्रह, सांपका बिल। मारा था। (हरिवंश २६।२६) ४ दद्रुघ्नवृक्ष, चकौड़िया। उरगडडी (हिं० स्त्री०) भारयष्टिविशेष, एक ख.टी।। (क्लो०) ५ रौप्य, चांदी। बम्बईप्रदेशके थाने इसके द्वारा जुलाहे भूमिमें ताना लगाने के लिये जिलेका एक नगर। यह अक्षा० १८° ५२ ४. छिद्र बनाते हैं। उ• यथा द्राधि० ७२° ५० पू०-पर बम्बई नगरसे उरगप्रतिसर (सं. त्रि.) ववाहिक अङ्गरीयकके प्रायः ४ कोस दक्षिण-पश्चिम अवस्थित है। यहां स्थानमें सप रखनेवाला, जो शादीको अंगूठीके बदले अनेक धनवान रहते हैं। चिकित्सालय, पाठशाला, सांप लपेटे हो। डाकघर, मन्दिर, गिरजा और मसजिद विद्यमान हैं। उरगभूषण (सं० पु.) उरगको पाभूषण की भांति उरणक (सं. पु०) १ मेष, भेड़ा। २ मेघ, बादल । धारण करनेवाले महादेव। उरणा (सं० स्त्री०) उरणी, मेषी, भेड़ी। . उरगराज (सं० पु०) उरगोंके राजा शेष वा वासुकि । | उरणाक्ष (सं० पु०) उरणस्य मेषस्याक्षीव पुष्पं यस्य । उरमलता (स स्त्री०) नागवली, पानको बेल। . । १ दद्रुघ्नवक्ष, चकौड़िया। २ पारग्बधवक्ष, लटजीरा ।