पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४६५

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एकभार्या-एकरस एकभार्या (सं० स्त्री०) एकस्यैव भार्या, ६-तत्। एकमुख (सं० वि०) एकं मुखं यस्य, बहुव्री। साध्वी, पतिव्रता, नेकबख्त बीवी। १ एक हारविशिष्ट, एक दरवाजेवाला। २ एक ही एकभाव (सं० पु.) एकश्चासौ भावश्चेति, कर्मधा। स्थानको ओर मुख झुकाये हुआ, जो किसी एक जग- १ एक खभाव । २ एक अभिप्राय। ३ अभेद, | हको मुंह फेरे हो। ३ एकमात्र प्रधान रखनेवाला. तौहीद। ४ समभाव, बराबरी। ५ एक विषयमें , जिसके एक ही अफंसर रहे। अनुराग, एक ही बातको चाह । ६ एकका अभिप्राय। एकमुखी, एकमुख देखो। एकमुखी रुद्राक्षमे फांकको ७ एक रूप। (त्रि.)८ एक प्रकृतिवाला, जिसके । रेखा एक ही रहती है। दूसरी बात न रहे। एकमूर्धा, एकमुख देखो। एकभुक्त (स'• त्रि.) १ एक बार भोजन करने एकमूल (स• पु०) पुण्डरीकवृक्ष, सफेद कमलका पेड़। वाला, जो एक ही मरतबा खाता हो। २ एक साथ एकमूला . (सं० स्त्री०) एक मूलं यस्याः, बहुव्रौ। भोजन करनेवाला, जो अलग खाता न हो। १ शालपर्णी। २ अतसी, अलसी। एकभूत ( त्रि.) १ अविभक्त, मिला हुआ, जो एकम्बा-बङ्गाल प्रान्तके पुरनिया जिलेका एक ग्राम। 'टा न हो। २ एक विषयासक्त, एक ही काममें | यह अक्षा. २५.५८ उ. और द्राधि०८७.३६३०५ लगा हुआ। पू० पर अवस्थित है। एकम्बा अपने जिलेके व्यव- एकभूम (स• पु० ) एकाभूमियंत्र, बहुव्री। एक- सायका एक प्रधान स्थान है। अब, गन्धद्रव्य, वस्त्र, तला गृह, एक मंजिला मकान्। चर्म प्रभृतिका काम होता है। बाजार बराबर एकभोजन (60 लो०) १ केवल एक बारका लगा रहता है। पाहार, सिर्फ एक मरतबा खाना। २ एक साथका एकयष्टि (स० स्त्री०) मुक्ताको एकमात्र यष्टि, भोजन। मोतियोंको अकेली लड़ो। एकमत (सं.वि.) एक मात्र मत विशिष्ट, हमराय। एकयष्टिका (सं० स्त्री०) एका यष्टि रिव, उपमि। एकमति (सं. स्त्री०) एका अनन्य विषया मतिः, फलों या मोतियोंकी अकेली लड़ी। कर्मधा। १ एकविषयासक्त मन, एक ही बातमें एकयोनि (स त्रि) एका समा योनिर्जातिरस्य, लगा हुआ दिल। (त्रि०) एकस्मिन् विषये मति- बहुव्रो०। १ एक जाति, हमकोम। २ एक स्थानसे यस्थ, बहुव्री०। २ एक विषय में चिन्ताशील, एक ही उत्पब, जो एक ही जगह पैदा हो। बात.सोचनेवाला। एकरंग (हिं.वि.) १तुल्य, बराबर। २ निश्छल, एकमना: (संत्रि०) एकस्मिन् विषये मनोऽस्य, | दूसरी बात न रखनेवाला। बहुव्री। एकाग्रचित्तसे चिन्ताकारी, दिल लगाकर एकरज (सं० पु०) एको मुख्यो रजः रमनद्रव्यम्, सोचनेवाला। कर्मधा। भृङ्गराज। भृङ्गराज देखो। एकमय (सं.वि.) एकसे युक्त, जो एक रखता हो। एकरदन, एकदन्त देखो। एकमात्र (सं.त्रि.) एका मात्रा यस्य, बहुव्री०।। एकरन्ध (स० पु०) नदीवट। . एक मात्राविशिष्ट, जो दूसरी मात्रा रखता न हो। एकरस (सं० पु.) एकोऽन्यविषयको रसः, कर्मधा० । एकमात्रिक, एकमाव देखो। १ एकाभिप्राय, अकेला मतलब। २ एक विषयमें एकमुहा (हिं. वि०) एकमात्र मुखविशिष्ट, सिर्फ अनुराग, एक बातको चाह। (त्रि०) एको रसो यत्र । एक मुंह रखनेवाला। एकमुहा दहरिया एक गहना ३अभिव स्वभाव, उसी मिजाजवाला। एकरस माट- होता है। यह फल या कांसेसे बनता और नीच कादिमें शुजारादिके अन्तर्भूत कोई एकमात्र रस नातिकी स्त्रियोंके पहनने में लगता है। . .. अङ्ग और अन्यान्य रस अङ्गीभूत रहता है। .