पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४७१

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एकश्रुत-एकहत्थी हुल क एकश्रुत (स.वि.) एकवार श्रवण किया हुपा, निश्चयो यस्य। एकाग्रचित्त, एक ही बातपर झुका जो एक ही मरतबा मुना गया हो। .. हुआ। एकश्रुतधर (स.वि.) एकवार श्रवण किया हुमा एकसहस्र (स.वि.) एकसहस्रं एकाधिक सहसं विषय स्मरण रखनेवाला, जो एक मरतबा सुनी वा परिमायमस्य । १ एक सहस्र परिमाणविशिष्ट, बात भूलता न हो। हज़ारवां। (लो०) २ एक हजार, १०००। ३ एक एकश्रुतधरत्व (सं० ली.) एकवार श्रवण किया हज़ार एक, १००१। हुआ विषय स्मरण रखनेको स्थिति, जिस हालतमें एकसा (फा० वि०) १ तुल्य, बराबर। २ सम, एक ही मरतबा सुनी बात याद रखें। हमवार, जो नीचा-ऊंचा न हो। एकश्रुति (सं० वि०) एका श्रुतिर्यस्य, बहुव्री। एकसाक्षिक (सं० त्रि.) एकमात्र साक्षी रखनेवाला, १ उदात्त, अनुदात्त और खरित-त्रिविध स्वर मिश्रित, अकेलेका देखा हुआ, जो दूसरा गवाह रखता जो ऊंची, नोची और बराबरको पावाजमें हो। न हो। (स्त्री०) २ एकमात्र स्वरको श्रुति। ३ एक वेद। एकसाथै (सं• अव्य०) साथ-साथ, मिल-जुलकर। ४ एककर्णविशिष्ट, जिसके एक हो कान रहे। एकसूत्र (स० पु.) एक सूत्र यस्य, बहुव्री० । डमरु- एकश्रुष्टि एकमात्र आज्ञा पालन करनेवाला, जो एक वाद्य, डमरू। यह एक सूत्रसे बजाया जाता है। हो हुक्म मानता हो। | एकसूनु (स.वि.) एकोऽद्वितीयः सूनुर्यस्य, बहुव्री। एकषष्ट (सं.वि.) एकषध्याः पूरणम्, एकषष्टि- १ एकमात्र पुत्र रखनेवाला, जिसके एक ही लडका डट् । एकषष्टि संख्या पूरण करनेवाला, इकसठवां। रहे। (पु.) कर्मधा०। २ एकमात्र पुत्र, एकलौता एकषष्टि (सं० स्त्री०) एकेन, अधिका षष्टिः, मध्य बेटा। पदलो। साठको अपेक्षा एक संख्या अधिक, एकस्तोम (स.पु.) सोमयज्ञविशेष। इसमें एक ही एकसठ, ६१। स्तोम होता है। एकषष्टितम, एकपष्ट देखो। एकस्थ (सं. वि.) एकस्मिन् तिष्ठति, स्था-क। एकसठ (हिं. पु.) एकषष्टि, छह दहाई और एक एकस्थानमें स्थित, इकट्ठा, साथ ही खड़ा हुआ । एकाई, ६१। एकस्थान (स'को०) एकमात्र स्थान, वही जगह । एकसत्तावाद (सं० पु०) वादविशेष, एक दलील। एकहंस (सं• लो०) एकः श्रेष्ठो हंसो यत्र, बहुव्री। इसमें सत्ता हौ मुख्य मानी गयी है। असत् कुछ भी | १तीर्थविशेष, एक सरोवर । नहीं। युरोपमें परमेडीजने यह मत फैलाया था। । “एकईसे नरः खात्वा गीसहस्रफलं लभेत्।" (भारत, वन ८३५०) एकसप्तत (सं०वि०) एकसप्ततियुक्त, एकहत्तरवां।। (पु०) २ जौवामा, रूह। ३ एक हंस । एकसप्तति (सं. स्त्री०) एकाधिका सप्ततिः। सत्तर एकहत्तर (हिं..वि.) एकसप्तति, सत्तर और एक,७१॥ और एक, एकहत्तर, ७१। एकहस्थी (हिं० स्त्री०) मालखम्भको एक कसरत । एकसप्ततितम, एकसप्तत देखो। एक हाथको उलटा कमरपर रखते और दूसरे हाथ से एकसभ (सं० पु.) एका सभा यस्य । १ जगदीश्वर। पकड़ मालखंभपर उड़ते हैं। (त्रि.) २ एकसभाविशिष्ट, एक मजलिसवाला। एकहत्यो छट (हिं० स्त्री०) मालखंभको एक कसरत । एकसर (हिं.वि.) १ एकाकी, साथमें दूसरा न इसमें एक ही हाथको थापसे उड़ान भरते हैं। . रखनेवाला। २ एकहरा, जो दोहरा न हो। एकहत्यी पौठको उड़ान (हिं. स्त्री०) मालखम्भको (फा• वि.) ३ सम् एक कसरत। इसमें पीठके सहारे उड़ते हैं। एकसर्ग ( स० वि० ) एकस्मिन् विषये सर्गी | एकहत्यौ डुलूक (हिं. पु.) कुशतीका एक पेंच । हसा