पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६३३

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६३२ कटखना-कटनी कटखना (हिं० वि०) १ दन्ताधात मारनेवाला, कटताल (हिं. स्त्री०) वाद्यविशेष, एक बाजा। जो दांतसे काट खाता हो। (पु.) २खेल, काट यह काठसे बनती है। अपर नाम करताल है। छांट, कतरब्योंत, हथकंडा, सफाई, चालाको। कट कटताला, कटवाल देखो। खने देखानको कटखनेबाजी कहते हैं। कटती (हिं. स्त्री०) विक्रय, फरोख्त, मांग। कटखादक (सं० त्रि.) कट यादिकं सर्वमेव कटदान (सं० लो०) कटो देहवर्तनं दीयतेऽव, कट- खादति, कट खाद-ख ल्। १ सर्वभक्षक, सब खा| दा-ल्युट । श्रीकृष्णके पाखं परिवर्तनका एक उत्सव । जानवाला, जो खानसे कोई चीज छोड़ता न हो। यह उत्सव भाद्र मासको शुक्ला एकादशोको श्रवणा २ शवभक्षक, मुर्दा-खोर। (पु०) ३ काचकलस, नक्षत्रके मध्यपाद-योगमै सन्ध्याकाल कर्तव्य है। शीशेकी सुराही। ४ काक, कौवा । ५ शृगाल, गोदड़। कटन ( स० लो० ) कटेन तृणादिना अन्यते, ६ काच-लवण। सम्पद्यते, कट-अन-अच । ग्रहाच्छादन, घरका कटग्लास (अं० पु०=Cut-glass ) सुदृढ़ एवं कारु- छप्पर। कायें-खचित काच, मज़बूत नक्काशीदार शौशा। कटनगर ( स० क्लो०) पूर्वदेशीय नगरविशेष, मश- कटघरा ( पु.) १ काष्ठभवन, लकड़ीका बाड़ा। रको मुल्कका एक शहर। इसमें जंगला या लोहे, लकड़ी वगरहका डंडा लगा| कटना (हिं. क्रि०) १ विधा होना, दो टकडे रहता है। २ बृहत् पिचर, बड़ा पिंजड़ा। बनना। अस्त्रशस्त्रको धार लगनेसे जब कोई चीज कटघोष (सं.पु०) कटप्रधानी घोषः, मध्यपदलो। दो टुकड़े हो जाती, तब उसको क्रिया कटना कहाती है। २ पिस जाना, बंटना, बारीक पड़ना। ३ प्रवेश १ पूर्वदेशीय ग्रामविशेष, भारतके पूर्व प्रान्तका एक ग्राम। २ ग्वालपाड़ा। करना, धुसना, धंसना। ४ अंशको हानि होना, हिस्सा अलग पड़ना। ५ युद्धमें आहत हो कर मरना, कटबाट (स० पु.) कट शव कटति ज्वालया जख म खाना। ६ काटा, कतरा या व्योता जाना। पाणति, कट बाहुलकात् खच । १ अग्नि, पाग। ७ पृथक् होना, छूटना, कम पड़ना, जाते रहना। "कटङटाय भावाय नमः पञ्चपलाय च ।" (अग्निपुराण) ८ व्यतीत होना, गुज़रना, बीतना, चला जाना । २ स्वर्ण, सोना । ३ दारुहरिद्रा, दारहलदी। ४ गणेश। 2 समाप्त होना, बाकी न रहना। १० छलपूर्वक ५ रुद्र। पृथक होना, धोकेसे साथ छोड़कर अलग चल देना। कटटा (सं० स्त्री०) पाच्छुक वृक्ष, पालका पेड़। ११ लज्जित होना, शरमाना, अपना, मुंह लटकाना । कटकटी (सं० स्त्री०) दारुहरिट्रा, दारहलदी। १२ ईर्था करना, डाह मानना, जल जाना। १३ मोहित कटाटेरी (स. स्त्री.) कटकट वह्निजं सुवर्णतुल्य वा पासक्त होना, भौचक रह जाना, मुहमें पानी वा कान्ति ईरयति ज्ञापयति, कटकट-ईट पण-डीम्। पाना। १४ व्यर्थ व्यय पड़ना, फजल खुर्च लगना, १ हरिद्रा, हलदो। २ दारुहरिट्रा, दारहलदी। बिगड़ना। १५ विक्रय होना, खप जाना। १६ मिलना, कटच्चुरि (स० पु०) जाति एवं गोत्रविशेष । नागर हाथ लगना, पल्ले पड़ना। १७,नष्ट होना, मिट खण्ड में यही शब्द कटच्छरी नामसे उक्त है। पूर्वकाल जाना। १८ बनना, तैयार होना। १८ तराश पड़ना। पर कटच्छ रि नामक एक प्रबल जाति भारतके नाना २० पूरा भाग लगना। स्थानों में राजत्व करती थी। शिलालिपिमें इस जातिका कटनास (हिं. पु.) नोलकण्ठपची, लीलागडांस। नाम कलचुरि लिखा है। कलचुरि देखो। कटनि (हिं. स्त्री०) १ कटाई, तराश, काटछांट। कटजौरा (हिं• पु०) कृष्णजीरक, काला जीरा।। २ प्रीति, मुहब्बत, लगी। कटड़ा (हिं० पु.) भैसका पंडवा या नर बच्चा। । कटनी (हिं. स्त्री० ) अस्त्रविशेष, एक भौजार ।