पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६३४

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कटपञ्चक-कटर काटने में काम आनेवाला पौज़ार कटनी कहाता है। के मतसे यह कट एवं तितरस, सारक, कफ तथा २ कटाई, काटफांक। ३ तिरछी दौड़। वायुनाशक, अत्यन्त उष्ण, वमनकारक, तीक्ष्ण, अग्नि- कटपञ्चक (सं० क्लो०) अश्वचालनाको पञ्चविध भूमि, वर्धक, बुद्धिजनक और स्मृति-शक्तिप्रद है। इसका घोड़ा फेरनेको पांच तरहको ज़मौन्। इसमें पहली संस्कृत पर्याय–कभि, ज्योतिष्क, कङ्गनी, पारावत- मण्डलाकार, दूसरी चतुरस्र, तीसरी गोमूत्राकार, पदो, पण्डालता और ककुन्दनी है। २ अपराजिता। चौथी अर्धचन्द्राकार और पांचवौं नागपाशाकार इसका संस्कृत पर्याय-नाभिक, शौण्डी, पाटली, रहती है। (जयदत्त) फिणिही, मधुरेणु, क्षुद्रश्यामा, कैडर्य और श्यामला कटपल्लिकुञ्चिका (सं० स्त्री० ) तृणशाला, घासको है। राजनिघण्टके मतमें यह कट, उष्ण और वायु, भोपड़ी। कफ एवं अजीर्ण रोगनाशक है। कटभी खेत पौर कटपल्वल (सं० लो०) प्राग्देशीय ग्रामविशेष, एक नोल दो प्रकारको होती है। दोनों हो समगुण- शरको जगह। विशिष्ट हैं। इसके फलमें भी उक्त सकल गुण रहते हैं। कटपीस ( अं. पु०-Cutpiece ) वस्त्र का कटा किन्तु वह कफशककारी होता है। अपराजिता देखो। हुआ टकड़ा। थान ज्यादा बड़ा होनेसे जो ३ कण्टक-शिरीष, कंटोला सरसों। ४ मषली. फु.ज. ल कपड़ा फाड़ लिया जाता, वही कटपोस मूसर। कहाता है। | कटभीत्वक् (सं. स्त्री० ) कटभी-वल्कल, रतनजोतको कटपूतन (सं० पु.) कटस्य शवस्य पूतां तनोति, छाल। कटपू-तन-अच । प्रेतविशेष । क्षत्रिय अपना धर्म कटमालिनी (सं० स्त्री० ) कटानां किखाद्यौषधीनां छोड़नपर कटपूतन हो शव भक्षण करता है। माला साधनत्वेन अस्याः पस्ति, कटमाखा-इनि-डीप। "अमेध्य कुछपाशी च चवियः कटपूतनः।” (मनु १२००१) मदिरा, शराब । किखादि औषधसमुहसे यह कटप् (सं० पु०) कटे श्मशाने प्रवते विचरति, कट- बनती है। प्र-क्विप् दीर्घश्च । क्विबचि प्रच्छि-शिशु टु-प्रज्ञां दीर्घोऽसम्प सारणञ्च । कटम्ब (स० पु०) कटति, कट-अम्बच । लकदिकटि- उच, २०५७। १ महादेव। २ राक्षस । ३ विद्याधर। कटिभ्योऽम्बच । उप ४।२। १ वाद्यविशेष, एक बाजा। ४ पाशाक्रीड़क, किमारबाज। ५ कोट, कोड़ा। कव्यते प्रावियते शत्रुरनेन । २ वाण, तौर। करपोध (सं० पु० ली.) कटस्य कव्याः प्रोथः मांस-कटम्बरा (सं० स्त्री. ) कटं गुणातिशयं वृणोति पिण्डः, ६-तत्। १नितम्ब, चतड़।२ कटि, कमर। धारयति, कट-वृ-अच-टाप । १ कटकी, कुटको। कटफरेश .(अं० पु०-Cutfresh ) कटा-फटा माल, २ गन्धप्रसारणो। ३ दन्तोवृक्ष, दांतो। ४ गोधा, बिगड़ी हुयी चीज़। समुद्रमें गिर जानेसे दाग पड़ा गोह। ५ वधू। ६ श्योणाकक्ष ।। ७ करिणी, और सन्दूक खोलनेसे कटा हुआ नया माल कट हथिनो। ८कलम्बिका। मूर्वा, सौंफ। १० पुन- फरेश कहलाता है। गवा। ११ रोजबला। १२ महाबला। मा (.पु.) कटानां शस्थानां हस्तेन भङ्गः। कटम्भर (सं० पु.) कटौं गुणातिशयं विभर्ति, कट- हस्तसे शस्यका छेद, हाथसे अनाज तोड़नका भू-अच-नुम। संज्ञायां विनिधारिसहितपिदमः। पा शरा४६ ।' अ-अच-नम। सज्ञायां भवविविधारिसरिना काम। २ शुण्डो, सोंठ। ३राजविनाश, सलतनतको । १श्योणाकवृक्ष। २ कटभी वृक्ष । मिसमारो। | कटम्भरा (सं० स्त्री०) कटम्भर-टाप । कटम्बरा देखो। कटभि, कटमी देखो। कटर (हिं. स्त्री०) १ विशेष, पलवान, एक कटमी (सं० स्त्री०) कटवद भाति, कट-भा-ड-डौष। घास। (अं० पु० = Cutter ) २ एक मस्तलका लघु ज्योतिष्मती लता, छोटी रनजोत । भावप्रकाश- जहाज़। ३ सरौता ४ काटनेवाला । ५ नौका- Vol. III. 159